पटना : स्कूल में लडक़ों द्वारा छेड़छाड़ करने से हलकान 12 साल की दिव्यांग सुनीता कुमारी और उसकी दर्जनों सहेली छात्राओं ने स्कूल जाना ही बंद कर दी। इस तरह बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ का हश्र हो गया। दिव्यांग सुनीता कुमारी को लक्ष्मीबाई सामाजिक सुरक्षा पेंशन भी नहीं मिल रहा है। दीघा पुल के बगल में छोटे दास रहते हैं। वे पेशे से पेंटर हैं। इनका विवाह चम्पा देवी के साथ हुआ। इन दोनों के 3 संतान हैं। उनका 1 लडक़ा और 2 लडक़ी। बड़ी लडक़ी पायल देवी है। शंकर कुमार और सुनीता कुमारी। केवल पायल की शादी हुई हैं। शेष दोना अविवाहित हैं। अपने भाई-बहनों में केवल सुनीता कुमारी ही दिव्यांग हैं। विकालगंता प्रमाण-पत्र नहीं बना है। इसके कारण लक्ष्मीबाई सामाजिक सुरक्षा पेंशन नहीं मिल पा रहा है। दिव्यांग सुनीता कुमारी का उल्टा पैर ठीक है। वह सीधा पैर के ठेंहुने पर हाथ रखकर चल पाती है। इसी तरह से चलकर रामजीचक मोहल्ला में स्थित राजकीय प्राथमिक विघालय में पढऩे जाती थीं। इसी के मध्य विघालय की पढ़ाई खत्म कर प्राथमिक विघालय में गयी थीं। अभी तक सात कक्षा तक पढ़ी हैं। आगे की पढ़ाई जारी नहीं करने के पीछे सुनीता कुमारी कहती हैं कि जब पांचवीं कक्षा पास होने के बाद छठी कक्षा में गई थीं तब से ही साथ पढऩे वाले उद्दंड करने लगे। अन्य लड़किया भी उद्दंडता के शिकार होने लगीं। हमलोग सहकर छठी कक्षा पास करके सातवीं कक्षा में पहुंचे।  इसकी शिकायत मास्टर साहब से किया गया। शिकायत करने पर लडक़े कुछ दिन शांत हो जाते थे। इसके बाद पुन: छेड़छाड़ शुरू कर देते थे। सातवीं कक्षा में लडक़ों का अत्याचार अधिक बढ़ गया। इस बार शिक्षक के साथ सुनीता कुमारी ने अपनी अभिभवको से भी शिकायत की। कुछ दिन रूकने के बाद पूर्व की ही तरह छेड़छाड़ करना शुरू कर दिए।


मां-पिता से शिकायत पर दोनों ने मिलकर निर्णय ले लिया कि जब स्कूल में ही छेड़छाड़ हो रहा है तो स्कूल जाना ही बंद कर दो। इस तरह के निर्णय से सुनीता कुमारी हलकान हो गयी। मां-बाप के आदेश पर दिव्यांग सुनीता कुमारी ने स्कूल जाना ही बंद कर दी। मां-पिता ने बेटी को बचाओ और बेटी को पढ़ाओं नारा को ठेंगा दिखा दी। इसके बाद सुनीता कुमारी की अन्य दर्जनों सहेलियों ने भी स्कूल जाना बंद कर दी।



Share To:

Post A Comment: