महाराष्ट्र के 13 जिलों में मानसून के सीजन में औसत से कम बारिश हुई है. हालात ये हैं कि कई गांव में पेयजल का संकट पैदा हो गया है और अब टैंकर से पानी पहुंचाया जा रहा है.



 मानसून  के सीजन में कई राज्यों में जहां जोरदार बारिश  हुई और बाढ़ जैसे हालात भी पैदा हो गए तो वहीं महाराष्ट्र   के कई इलाके मानसून के दौरान बारिश को तरसते रहे. कई जगहों पर बारिश न केवल देर से हुई बल्कि अपेक्षा के अनुरूप नहीं हुई है जिससे सूखे (Drought) जैसे हालात पैदा हो गए हैं. मौसम विभाग के मुताबिक, राज्य के 13 जिलों पर सूखे का खतरा मंडरा रहा है और कुछ जिले सीधे तौर पर रेड जोन में हैं. इससे और चिंता बढ़ गई है. विशेष रूप से मराठवाड़ा रीजन के कुछ जिलों में हालात गंभीर होते जा रहे हैं.

 राज्य के 36 में से 13 जिलों में पेयजल और पशु चारे का संकट पैदा हो गया है. मानसून की बारिश हर जगह अच्छी नहीं हुई है. कोंकण और गोवा के कुछ हिस्सों, साथ ही ठाणे और नांदेड़ जिलों को छोड़कर अन्य जगहों पर औसत बारिश हुई. राज्य के 13 जिलों में औसत से काफी कम बारिश हुई है और उनमें अहमदनगर, छत्रपति संभाजीनगर, जालना, बीड, धाराशिव, सोलापुर, सांगली, सतारा, परभणी, हिंगोली, वाशिम, अकोला, और अमरावती है. ये जिले सूखे का सामना कर रहे हैं इसलिए इन्हें रेड जोन में रखा गया है. 

जालना में स्थिति हुई गंभीर, कई गांवों टैंकर से पहुंचा पानी
जुलाई और अगस्त के महीने में सबसे अधिक बारिश होती है. इसके बाद सितंबर में बारिश की रफ्तर धीमी हो जाती है. पिछले कुछ वर्षों के आंकड़े पर गौर करें तो सितंबर के महीने में कम बारिश होती है. इस साल राज्य के कई हिस्सों में औसत से कम बारिश हुई है, जिनमें 36 में से 13 जिले भी शामिल हैं. इन 13 जिलों में मराठवाड़ा के छह जिले शामिल हैं. छत्रपति संभाजीनगर और जालना इन दो जिलों में स्थिति गंभीर है. इन दोनों जिलों के कई गांवों में तो टैंकरों से पानी की सप्लाई की जा रही है. 

Share To:

Post A Comment: