लखनऊ से आज की सत्ता लखनऊ ब्यूरो चीफ अनुज मौर्य नेशनल हाईवे-24 पर स्थित बख्शी का तालाब कस्बे से 11 किमी सड़क पर चन्द्रिका देवी तीर्थ धाम पहुंचे किया मंदिर की परम्पराओ का अवलोकन ।
कहा जाता है कि यहाँ की महिमा अपरम्पार है गोमती नदी के समीप स्थित महीसागर संगम तीर्थ के तट पर एक पुरातन नीम के वृक्ष के कोटर में नौ दुर्गाओं के साथ उनकी वेदियाँ चिरकाल से सुरक्षित रखी हुई हैं।

अठारहवीं सदी के पूर्वार्द्ध से यहाँ माँ चन्द्रिका देवी का भव्य मंदिर बना हुआ है। ऊँचे चबूतरे पर एक मठ बनवाकर पूजा-अर्चना के साथ देवी भक्तों के लिए प्रत्येक मास की अमावस्या को मेला लगता था, जिसकी परम्परा आज भी जारी है।

श्रद्धालु अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए माँ के दरबार में आकर मन्नत माँगते हैं, चुनरी की गाँठ बाँधते हैं तथा मनोकामना पूरी होने पर माँ को चुनरी, प्रसाद चढ़ाकर मंदिर परिसर में घण्टा बाँधते हैं। अमीर हो अथवा गरीब, अगड़ा हो अथवा पिछड़ा, माँ चन्द्रिका देवी के दरबार में सभी को समान अधिकार है।

स्कन्द पुराण के अनुसार द्वापर युग में घटोत्कच के पुत्र बर्बरीक ने माँ चन्द्रिका देवी धाम स्थित महीसागर संगम में तप किया था। चन्द्रिका देवी धाम की तीन दिशाओं उत्तर, पश्चिम और दक्षिण में गोमती नदी की जलधारा प्रवाहित होती है तथा पूर्व दिशा में महीसागर संगम तीर्थ स्थित है। जनश्रुति है कि महीसागर संगम तीर्थ में कभी भी जल का अभाव नहीं होता और इसका सीधा संबंध पाताल से है। आज भी करोड़ों भक्त यहाँ महारथी वीर बर्बरीक की पूजा-आराधना करते हैं।
खास रिपोर्ट लखनऊ से सुनीता मौर्य
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