नई दिल्ली I जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान पूरी तरह से घिर गया है. पुलवामा हमले का जिम्मेदार पाकिस्तान की सरज़मीं पर पल रहा जैश-ए-मोहम्मद है, इसे हर कोई जानता है. जिसके बाद से ही भारत ने पाकिस्तान पर दबाव बनाया और दुनियाभर में उसे घेरने की कोशिश की जिसका असर दिख रहा है. पाकिस्तान ने जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा, जमात-उद-दावा जैसे संगठनों पर बैन लगाया है. हालांकि, पाकिस्तान की फितरत इसमें साफ नहीं दिख रही है क्योंकि बीते दो दशक में ऐसे कई मौके आए हैं जब उसने इन संगठनों पर बैन लगाया है. सवाल एक बार फिर यही है कि क्या ये सिर्फ दिखावे वाली कार्रवाई है.

कार्रवाई या सिर्फ दिखावा?
पुलवामा आतंकी हमले के तार पाकिस्तान से ही जुड़े हैं इस मुद्दे को भारत ने अंतरराष्ट्रीय पटल पर साबित कर दिया था. जिसके बाद से दुनिया के कई देशों ने पाकिस्तान पर आतंकी संगठनों पर कार्रवाई करने को कहा, ना सिर्फ देश बल्कि संयुक्त राष्ट्र, FATF, UNSC की तरफ से भी पाकिस्तान पर दबाव था. यही वजह है कि उसने तुरंत एक्शन लिया और 44 संगठनों पर बैन लगाया और कुछ को हिरासत में भी लिया.

हालांकि, पाकिस्तान की इस कार्रवाई को ठोस माना जाए ऐसा कोई सबूत नहीं है. क्योंकि पाकिस्तान के ही कई लोग सोशल मीडिया पर लिख रहे हैं कि हम इस तरह के बैन-कार्रवाई पहले भी देख चुके हैं. गौरतलब है कि अमेरिका में आतंकी हमले, मुंबई हमले के बाद भी पाकिस्तान ने ऐसे ही कई बार कुछ आतंकी संगठनों पर बैन लगाया था.

क्यों नहीं होता पाकिस्तान पर विश्वास?
दरअसल, पाकिस्तान का इतिहास ही ऐसा ही कि उस पर विश्वास नहीं किया जा सकता. पाकिस्तान पहले हाफिज़ सईद के संगठन पर बैन लगा चुका है लेकिन हाफिज़ वहां आम चुनाव लड़ चुका है रोज़ाना रैलियां करता है और हिंदुस्तान के खिलाफ ज़हर उगलता है.

ना सिर्फ हाफिज़ बल्कि पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी पुलवामा आतंकी हमले के बाद कई टीवी इंटरव्यू में ये कबूल चुके हैं कि जैश-ए-मोहम्मद का सरगना मौलाना मसूद अजहर पाकिस्तान में ही है. एक इंटरव्यू में तो वह जैश का बचाव करते हुए कह रहे थे कि पुलवामा की जिम्मेदारी जैश ने नहीं ली है, ये सिर्फ एक भ्रम है.

क्यों पाकिस्तान को लेना पड़ा इस तरह का एक्शन?
दरअसल, इस कार्रवाई के पीछे पाकिस्तान की कई तरह की मजबूरियां हैं. पहली तो ये कि पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारत ने कूटनीतिक तौर पर उसे दुनियाभर में ऐसा घेरा कि हर बड़े देश ने उसकी आलोचना की. जिसके बाद से ही उसपर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के सामने खुद को साबित करने की चुनौती है. क्योंकि अगर UNSC जैश जैसे संगठन पर बैन लगाता है तो पाकिस्तान के लिए कार्रवाई करना जरूरी होता और कई अन्य एजेंसियों का भी दबाव उसपर बनता.
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