भागलपुर : होली में जला देना है हमें मानसिक घात-प्रतिघात व बुराइयों को। होली में बिखेरना है प्रेम के रंग न कि ठिठौली में क्योंकि प्रेम ही जगत का सार हैं और कुछ नहीं। इस संबंध में अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त ज्योतिष योग शोध केन्द्र, बिहार के संस्थापक दैवज्ञ पं. आर. के. चौधरी, बाबा भागलपुर, भविष्यवेता एवं हस्तरेखा विशेषज्ञ ने सुगमतापूर्वक बतलाया कि होली वसंत ऋतु में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण भारतीय त्योहार है। यह पर्व हमारे पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। यह पर्व प्रमुखता से भारत और नेपाल में मनाया जाता है। होली कई अन्य देशों जिनमें अल्पसंख्यक हिन्दू लोग रहते हैं, वहां भी धूमधाम से मनाया जाता है। हर वर्ष की भांति इस वर्ष 21 मार्च 2019 को मनाया जाएगा। रंगों का त्योहार कहा जाने वाला यह पर्व पारम्परिक रूप से दो दिन मनाया जाता है। पहले दिन धुरखेल खेला जाता है तथा शाम में होलिका जलायी जाती है जिसे होलिका दहन भी कहते हैं। होलिका दहन करने का रहस्य भगवान विष्णु जी के परम भक्त प्रहलाद से जुड़े हैं।

माना जाता है कि प्राचीन काल में हिरण्य कश्यप नाम का एक अत्यंत बलशाली असुर था। उसने अपने राज्य में ईश्वर का नाम लेने पर ही पाबंदी लगा दी थी। वो अपने आप को ही ईश्वर मानता था। हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रहलाद विष्णु भक्त था। प्रहलाद की ईश्वर भक्ति से क्रूध होकर हिरण्य कश्यप ने उसे अनेक कठोर दंड दिये। परन्तु उसने ईश्वर की भक्ति का मार्ग को नहीं छोड़ा। हिरण्य कश्यप की एक बहन थी होलिका उसे वरदान प्राप्त था कि वह आग में भस्म नहीं हो सकती। हिरण्य कश्यप ने आदेश दिया कि प्रहलाद होलिका के गोद में आग में बैठे। आग में बैठने पर ईश्वर भक्ति के कारण प्रहलाद बच गया और होलिका भस्म हो गई।

भारत में होली का उत्सव अलग-अलग प्रदेशों में भिन्नता के साथ मनाया जाता है। उत्तर प्रदेश के ब्रज क्षेत्र तथा बिहार राज्य के सहरसा जिले के बनगॉव की होली आज भी सारे देश के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। बरसाने की लठमार होली काफी प्रसिद्ध है। तो वही मथुरा और वृन्दावन में कई दिनों तक होली का पर्व मनाया जाता है। होली की हार्दिक शुभकामनाएं एवं विश्व मानव जगत की मंगलकामना।


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