पटना, (रिर्पोटर) :भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष  नित्यानंद राय ने ब्लॉग स्पॉट पर अपना विचार व्यक्त कर कहा कि   इस बार का चुनाव राष्ट्रवाद बनाम आतंकियों का साथ देनेवालों के बीच है। अभी बिहार में तेजस्वी यादव के सामने उनकी ही पार्टी राजद के विधायक हाजी अब्दुस सुभान ने मसूद अजहर जैसे आतंकी को साहब कहा। हद तो तब हो गयी, जब दूसरे विधायक विजय प्रकाश ने इसको जायज ठहराते हुए कहा कि आरजेडी और बाकी दलों में यही फर्क है,हम दुश्मनों का भी नाम इज्जत से लेते हैं। मैं तेजस्वी और उनकी पार्टी से यह पूछना चाहूंगा कि आखिर यह दुस्साहस कहां से आता है उनमें, जिस आतंकी सरगना ने भारतमाता की छाती पर अनगिनत घाव दिए, जिनकी वजह से हमारे दर्जनों जवान  बलिदान हो गए, वैसे लोगों को उनकी पार्टी के विधायक उनके सामने ही आदरसूचक संबोधन दे रहे हैं, जबकि तेजस्वी के गठबंधन सहयोगी और आदतन झूठे  राहुल गांधी हमारे प्रधानमंत्री के लिए अपमानजनक शब्दों का प्रयोग करते हैं।


 एक कहावत है, एक ही पंख के पक्षी, एक साथ होना, तेजस्वी जी की भी संगत आजकल राहुल गांधी से है। याद रहे कि ये राहुल जी की मम्मीजी की छाया सरकार थी, जिसने हिंदू आतंक का झूठा नैरेटिव गढ़ा था और बाकी बातें तो छोडि़ए, मुंबई की छाती पर दिए गए सबसे बड़े घाव, 26 नवंबर 2008 को हुए आतंकी हमले तक को एक राष्ट्रवादी संगठन का षडयंत्र करार दिया। कांग्रेसी सरकार ने पूरे उत्तर पूर्व की डेमोग्राफी को बिगाड़ दिया और बाद में वही काम तेजस्वी यादव एंड कंपनी ने किया। आज बिहार का पूरा सीमांचल जिस नासूर से पीडि़त है, ग्रस्त है, वह काम आप ही के माताजी-पिताजी की सरकार ने किया था, तेजस्वी जी।

वैसे, एक बात बताइए। आप लोग किसी आतंकी को साहब कहते हैं और इस देश के पीएम को अपमानजनक शब्दों से संबोधित करते हैं, इसके पीछे की आपकी मंशा क्या होती है, क्या आपको सचमुच यह लगता है कि अब्दुल हमीद और अबुल कलाम के इस देश में कोई समुदाय विशेष आतंकी को दी गयी इज्जत की वजह से आपका वोट-बैंक बन कर रहेगा, क्या आप सचमुच यह सोचते हैं कि कोई समुदाय आतंकियों को इज्जत की नजर से देखना चाहता है। क्या यह सोच उनका अपमान नहीं है?


शर्म और अफसोस की बात है कि कश्मीर में कांग्रेस की सहयोगी नेशनल कांफ्रेंस के एक नेता खुलेआम आतंकियों का समर्थन मांगते हैं और कहते हैं कि वे अभी भी आतंकियों की बात करते हैं और संसद में भी करते रहेंगे। वे अपनी चुनावी सभा में यहीं नहीं रुकते, बल्कि कहते हैं कि अगर हमारे लोगों को तुम लोग आतंकी तंग करोगे, तो भाजपा आ जाएगी,जो तुम पर रहम नहीं करेगी।  यह बात अब शीशे की तरह साफ है कि महाझूठे राहुल गांधी के गठबंधन साझीदार कैसे हैं,यह चुनाव सीधे तौर पर राष्ट्रवादी और राष्ट्रविरोध की विषबेल को खाद-पानी देनेवाली पार्टियों के बीच का है।  चुनाव आपका है। आपको क्या चाहिए? एक मजबूत और निर्णय लेनेवाली सरकार, जो आतंक की कमर तोड़े या फिर एक मजबूर सरकार, जो आतंक को सहारा दे, आतंकियों को जिसमें साहब बोला जाए?


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