किसान दिल्ली का रुख किसी भी कीमत पर करना चाहते हैं. वहीं दूसरी ओर पुलिस-प्रशासन उन्हें रोकने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है. भारतीय किसान यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि अब किसानों का मकसद सिर्फ और सिर्फ दिल्ली पहुंचना है और हर हाल में दिल्ली पहुंचा जाएगा.
किसान मोर्चा हरियाणा का संगठन जिसकी अध्यक्षता गुरनाम सिंह चढूनी कर रहे हैं पानीपत टोल पर डटा हुआ है. उन्होंने कहा कि रास्ते में प्रशासन का काफी अमला लगा हुआ है. हम उसे तोड़ पाएंगे या नहीं, ये तो नहीं कह सकते लेकिन दिल्ली जरूर पहुंचेंगे. उन्होंने कहा कि हलदाना बॉर्डर पर जो हमें रोकने के लिए खुदाई की गई है, हम पुराने जमाने से सुनते थे कि राजा किले से मोर्चे बनाते थे और किले के बाहर खुदाई करके पानी छोड़ देते थे, ताकि दुश्मन की फौज वहां तक नहीं पहुंचे. अब वही प्रथा किसानों के लिए आजमाई जा रही है. अब उन्हें उस खुदाई में पानी छोड़ देना चाहिए. लेकिन हम बता देना चाहते हैं कि देश का किसान कभी नहीं रुकता. उन्होंने कहा कि जवान समुद्र पर पुल बना सकते हैं तो दिल्ली पहुंचना क्या चीज है.
गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि दिल्ली देश की राजधानी है बाकी को तो बीजेपी पाकिस्तानी कह देती है. लेकिन हम पाकिस्तान से नहीं आए हैं. उन्होंने कहा कि यदि सरकार यह अध्यादेश वापस नहीं लेती है तो हमें वैसे भी मरना है तो भूख से मर जाएंगे. लेकिन आंदोलन जारी रहेगा और आंदोलन तब तक नहीं थमेगा जब तक सरकार सड़क पर आकर हमसे बात नहीं करती और हमारी मांगों को पूरा नहीं करती.
बीकेयू के प्रदेश अध्यक्ष चढूनी ने आगे कहा कि हम कृषि मंत्री से कोई बैठक नहीं करेंगे. हमारी जो मीटिंग होगी सीधे प्रधानमंत्री से होगी. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि बातचीत के दौरान आंदोलन जारी रहेगा. आंदोलन किसी भी कीमत पर नहीं रुकेगा. उन्होंने कहा कि सरकार रोड पर आकर उनसे बात करे. अगर उनकी मांगें मान ली जाती हैं तो वह अपना आंदोलन वापस ले लेंगे.
वहीं भारतीय किसान यूनियन पानीपत के नेता सुरेश दहिया ने कहा कि चाहे लाठी चले या गोलियां, किसान अब रुकने वाला नहीं है. दिल्ली के लिए रात को ही किसानों का काफिला निकलेगा. किसान यहां पंजाब से आ रहे किसानों के जत्थे का इंतजार कर रहे हैं.
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