नई दिल्ली. भारत ने एक करोड़ कोरोना मरीजों का आंकड़ा पार कर लिया है. दुनियाभर के कोरोना मरीजों के आंकड़े इकट्ठा करने वाली वेबसाइट worldometers.info पर शुक्रवार रात को मरीजों की संख्या 10,004,825 हो चुकी थी. महामारी से देश में अब तक करीब 1 लाख 45 हजार लोगों की मौत हो चुकी है. सक्रिय मामलों की संख्या तकरीबन सवा तीन लाख है. लेकिन भारत के लिए वैक्सीन अब भी दूर की कौड़ी बनी हुई है. देश-दुनिया में कोरोना वायरस से रोकथाम के लिए वैक्‍सीन का बेसब्री से इंतजार हो रहा है. अमेरिका और रूस जैसे देशों ने वैक्‍सीन विकसित करने का दावा करके टीकाकरण भी शुरू कर दिया है. वहीं भारत में भी वैक्‍सीन की कुछ प्रमुख दावेदार ट्रायल के अंतिम चरण में हैं. इनका अगले कुछ हफ्तों में पूरी तरह से तैयार होने का दावा किया जा रहा है.

इस बीच स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को बताया कि कोरोना वैक्सिनेशन स्वेच्छा पर आधारित होगा. जिसे भी टीकाकरण करवाना है, उसे ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराना होगा. दरअसल मंत्रालय ने कोरोना वैक्सीन से संबंधित पूछे जा रहे सवालों की एक लिस्ट बनाई थी जिस पर एक-एक कर जवाब दिया गया है.

मंत्रालय ने कहा- कोविड वैक्सिनेशन स्वेच्छा के आधार पर किया जाएगा. हालांकि यह सलाह दी जाती है कि वैक्सीन का पूरा डोज लें. इससे आप खुद को बीमारी से दूर रख सकेंगे साथ ही इसके प्रसार से दूसरों को भी बचा सकेंगे. मंत्रालय से मिली जानकारी के मुताबिक कई वैक्सीन अपने फाइनल स्टेज के विभिन्न चरणों में हैं. भारत बायोटेक-आईसीएमआर समेत 6 वैक्सीन का जिक्र किया गया.

भारत के लिए भारत बायोटेक क्यों है सबसे फायदेमंद?

भारत बायोटेक वैक्सीन को 2 से 8 डिग्री तापमान पर ही रखना होता है. और यही वजह है कि इस वैक्सीन का देश में बेसब्री के साथ इंतजार किया जा रहा है. क्योंकि Pfizer या मॉडर्ना की वैक्सीन के लिए तापमान नियंत्रित करने की व्यवस्था करना भी चुनौती है. जहां Pfizer को -70 डिग्री तो वहीं मॉडर्ना को -30 डिग्री तापमान पर स्टोर करके रखना है.

आम आदमी को अभी करना होगा इंतजार?

अगले साल जनवरी से अगस्त महीने तक लगभग 30 करोड़ लोगों को कोरोना के टीके लगाए जाएंगे. इस प्रक्रिया में एक करोड़ स्वास्थ्य कर्मचारी पुलिसकर्मी और नगर निगम के कर्मचारियों सहित अन्य फ्रंट लाइन पर काम करने वाले लोग शामिल होंगे.

इसके अलावा उन लोगों तक टीका पहुंचाया जाएगा जिनकी उम्र 50 साल से ज्यादा है या जिन्हें जिन्हें डायबिटीज समेत कुछ ऐसी बीमारियां हैं जो कोरोना संक्रमण के खतरे को बढ़ाती हैं. ऐसे में आम आदमी को फिलहाल अभी वैक्सीन के लिए एक साल से भी ज्यादा समय का इंतजार करना पड़ सकता है.

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