न्यूयॉर्क I अमेरिका की एक निगरानी संस्था ने इस साल रिकॉर्ड संख्या में पत्रकारों को जेल भेजे जाने का खुलासा किया है। पत्रकारों को जेल में रखने के मामले में चीन सबसे ऊपर है। इसके बाद तुर्की और मिस्त्र का स्थान है। वहीं बेलारूस और इथियोपिया में राजनीतिक गतिरोध की वजह से भी बड़ी संख्या में पत्रकार हिरासत में हैं।वैश्विक स्तर पर इस महीने की शुरुआत में अपने काम की वजह से 274 पत्रकारों को जेल जाना पड़ा है और उनमें से करीब तीन दर्जन पत्रकारों पर फर्जी खबर देने का आरोप है। यह आंकड़ा कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स ने जारी किया है। कमेटी ने मंगलवार को कहा कि यह लगातार पांचवां ऐसा वर्ष है, जब कम से कम 250 पत्रकार हिरासत में हैं, जो कि सरकारों के दमनकारी कदमों को दर्शाता है।

चीन में 47 पत्रकार जेल में

चीन में 47 पत्रकार जेल में हैं, जिनमें से तीन कोविड-19 महामारी पर सरकार के कदमों से जुड़ी खबरों के लिए जेल में हैं। वहीं मिस्र में 27 पत्रकारों को जेल में जाना पड़ा है, जिनमें से कम से कम तीन को कोविड-19 महामारी से जुड़ी खबरों के लिए जेल जाना पड़ा। वहीं मिस्र और होंडुरास में जेल में संक्रमित होने से पत्रकारों की मौत हो गई। जेल जाने वाले पत्रकारों में से लगभग सभी अपने देश से संबंधित मामलों की रिपोर्टिंग कर रहे थे। कमेटी ने बताया कि जेल जाने वाले पत्रकारों में से 36 महिला पत्रकार हैं।

अमेरिका : 2020 में 110 पत्रकारों को गिरफ्तार किया गया

अमेरिका प्रेस फ्रीडम ट्रेकर ने बताया कि इस महीने की शुरुआत में अमेरिका में किसी पत्रकार की न तो हत्या हुई है और न ही कोई अभी जेल में हैं, लेकिन 2020 में 110 पत्रकारों को गिरफ्तार किया गया और उन पर आपराधिक आरोप लगाये गए।. वहीं 300 को उत्पीड़न का सामना करना पड़ा, जिनमें से कई काले व्यक्ति जॉर्ज फ्लॉइड की पुलिस हिरासत में हुई मौत के बाद नस्लीय न्याय को लेकर उभरे विरोध प्रदर्शन की रिपोर्टिंग कर रहे थे।

भारत में चार पत्रकार जेल में

रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में चार पत्रकार जेल में बंद हैं। जिसमें से तीन स्वतंत्र पत्रकार और संस्था के एक पत्रकार हैं। इन चारों ही पत्रकारों के खिलाफ राजद्रोह का केस दर्ज है, लेकिन अभी तक किसी को भी सजा नहीं सुनाई गई है।

पिछले साल 26 पत्रकार मारे गये थे

कमेटी ने बताया कि इस साल अब तक 29 पत्रकार मारे जा चुके हैं, जो कि पिछले साल से ज्यादा है। पिछले साल 26 पत्रकार मारे गये थे। हालांकि यह आंकड़ा पिछले दशक के शुरुआती समय से कम है। 2012 और 2013 में 74 पत्रकार मारे गये थे। 

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