सरकारी सूत्रों ने बताया कि 38 विस्तारित रेंज में ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों के अधिग्रहण के लिए 1,800 करोड़ रुपये का प्रस्ताव रक्षा मंत्रालय के पास है और जल्द ही इसे मंजूरी मिलने की उम्मीद है।
भारतीय सेना की बढ़ेगी ताकत
ब्रह्मोस युद्धपोतों का मुख्य स्ट्राइक हथियार होगा, जो नौसेना के कई युद्धपोतों पर पहले से ही तैनात है। भारतीय नौसेना ने गहरे समुद्र में 400 किलोमीटर से अधिक दूरी पर लक्ष्य को भेदने की क्षमता को प्रदर्शित करने के लिए अपने युद्धपोत INS चेन्नई से ब्रह्मोस मिसाइल की टेस्ट फायरिंग भी की थी।
भारत सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के लिए निर्यात बाजार खोजने पर भी काम कर रहा है, जिसे डीआरडीओ ने अपनी परियोजना पीजे 10 के तहत काफी हद तक स्वदेशी बना दिया है। 1990 के दशक के उत्तरार्ध में भारत और रूस के संयुक्त उपक्रम के अंतर्गत ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल भारत में तीनों सशस्त्र बलों के लिए एक शक्तिशाली हथियार बन गई है, जो विभिन्न भूमिकाओं के लिए उनका उपयोग कर रहे हैं।
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