भाजपा के हाथ से निकली दो सीटों में से एक सीट नागपुर की भी है। जिस पर लंबे समय से भाजपा ही जीतती आई रही थी। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के अलावा पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस के पिता गंगाधर फड़णवीस भी इसी सीट से विधान परिषद में पहुंचते रहे हैं। गडकरी इस सीट से पांच बार विधान परिषद में पहुंच चुके हैं। माना जा रहा है कि भाजपा को स्नातक कोटे की यह सीट अंतर्कलह में गंवानी पड़ी है। फड़णवीस ने नितिन गडकरी के एक समर्थक का टिकट कटवाकर नागपुर के महापौर रहे संदीप जोशी को उम्मीदवार बनाया था।
पार्टी को मिली करारी हार के बाद देवेंद्र फड़णवीस को कहना पड़ा है कि उनसे महाराष्ट्र विकास आघाड़ी (मविआ) की ताकत का आकलन करने में चूक हुई है। फड़णवीस ने कहा कि हम ज्यादा सीटें जीतने की उम्मीद कर रहे थे। लेकिन हम एक सीट ही जीत सके।
जानें, किसने क्या कहा
दूसरी ओर, भाजपा की इस हार से महाराष्ट्र विकास आघाड़ी सरकार में शामिल दलों की बांछें खिल गई हैं। राकांपा प्रवक्ता नवाब मलिक ने कहा कि यह जीत मविआ सरकार के एक साल के कामकाज पर जनता की मुहर है। भाजपा को अब सच्चाई स्वीकार कर लेनी चाहिए। उनका यह दावा खोखला साबित हुआ है कि विधान परिषद चुनाव के बाद सरकार गिर जाएगी।
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