राज्य के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने विधानमंडल के दो दिवसीय सत्र के पहले दिन इससे जुड़े दो विधेयक पेश किए। पहला महाराष्ट्र शक्ति आपराधिक कानून (महाराष्ट्र संशोधन) विधेयक, 2020 और दूसरा महाराष्ट्र विशिष्ट विशेष अदालत (शक्ति कानून के तहत महिलाओं और बच्चों के विरूद्ध अपराधों के वास्ते) विधेयक पेश किए। आंध्रप्रदेश के दिशा कानून की तर्ज पर बनाए गए ‘शक्ति’ नामक इस विधेयक में महिलाओं और बच्चों के साथ घटित होने वाले यौन अपराधों की 15 दिनों के अंदर जांच पूरी करने और आरोपपत्र दाखिल करने एवं सुनवाई 30 दिनों के अंदर पूरी करने का प्रावधान है।
पहले विधेयक में सख्त सजा के लिए भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और आपराधिक दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी), बाल यौन अपराध संरक्षण अधिनियम की संबंधित धाराओं में संशोधन का प्रावधान है। सीआरपीसी से जुड़े प्रस्तावित संशोधन जांच की अवधि दो महीने से घटाकर 15 दिन करने, सुनवाई की अवधि दो महीने से घटाकर 30 दिन करने और अपील की अवधि छह माह से घटाकर 45 दिन करने के लिए है। जबकि दूसरा विधेयक कानून के तहत सुनवाई हेतु राज्य के हर जिले में कम से कम एक विशेष अदालत स्थापित करने के लिए है।
राज्य में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ बढ़ते यौन अपराधों को रोकने की मंशा से सरकार यह विधेयक लेकर के आई है। सैद्धांतिक रूप से विपक्ष की राय भी इन दोनों विधायकों के पक्ष में हैं, लेकिन विपक्ष यह चाहता है कि इन विधायकों के दूरगामी परिणामों पर विस्तार से चर्चा हो। विधानसभा में नेता विपक्ष देवेंद्र फडणवीस इसे संयुक्त समिति के पास भेजने की बात कह रहे हैं। अलबत्ता सरकार का यह प्रयास है कि मंगलवार को ही चर्चा के बाद इस विधेयक को पारित करा लिया जाए। महा विकास आघाडी सरकार के संख्या बल को देखते हुए इस विधेयक के विधानसभा में मंगलवार को पारित हो जाने की संभावना है।
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