कैश के इस्तेमाल को कम करने के विभिन्न उपायों और यूपीआई जैसे लेन-देन के वैकल्पिक डिजिटल माध्यमों के जोर पकड़ने के बाद भी भारत में कैश का इस्तेमाल कम नहीं हो रहा है. एक हालिया रिपोर्ट बताती है कि वित्त वर्ष 2016-17 से लेकर वित्त वर्ष 2023-24 तक भारत में कैश का सर्कुलेशन लगभग 165 फीसदी बढ़ा है. इससे पता चलता है कि अभी भी भारतीय भारी मात्रा में कैश का इस्तेमाल कर रहे हैं.

इतना बढ़ गया कैश का इस्तेमाल

एचएसबीसी पीएमआई एंड सीएमएस कैश इंडेक्स के अनुसार, वित्त वर्ष 2016-17 में जहां भारत में 13.35 लाख करोड़ रुपये का कैश सर्कुलेशन में था, वहीं सर्कुलेशन में कैश की मात्रा बढ़कर मार्च 2024 में यानी वित्त वर्ष 2023-24 के अंत में 35.15 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गई. यह कैश सर्कुलेशन में पिछले 7 वित्त वर्ष के दौरान आई 163.29 फीसदी की तेजी है. यानी इन सालों में कैश का इस्तेमाल ढाई गुने से भी ज्यादा बढ़ा है.

नवंबर 2016 में हुई थी नोटबंदी

यह स्थिति है तब, जब इन सालों के दौरान कैश के इस्तेमाल को कम करने और डिजिटल बैंकिंग को बढ़ावा देने के कई उपाय किए हैं. सबसे पहले तो वित्त वर्ष 2016-17 के दौरान नवंबर 2016 में नोटबंदी की गई थी. नोटबंदी के तहत उस समय सर्कुलेशन के दो सबसे बड़े नोट 500 रुपये और 1000 रुपये को बंद कर दिया गया था. बाद में 2000 रुपये के नोट लाए गए थे, जिन्हें पिछले साल बंद कर दिया गया. इस तरह अब सर्कुलेशन में सबसे बड़ा नोट 500 रुपये का है.

पिछले साल बंद हुए 2000 के नोट

करीब साल भर पहले मई 2023 में केंद्रीय बैंक ने 2000 रुपये के नोट को बंद करने का फैसला लिया था. जिस समय आरबीआई ने 2000 रुपये के नोट को बंद करने का फैसला लिया था, उस समय सर्कुलेशन में 2000 रुपये के नोट की मात्रा साढ़े तीन लाख करोड़ रुपये से ज्यादा थी. आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, 3.56 लाख करोड़ रुपये के सर्कुलेशन के 2000 के नोटों में से 97.83 फीसदी बैंकों के पास वापस लौटे हैं.

इतना हो रहा है यूपीआई का इस्तेमाल

यूपीआई की बात करें तो इसकी शुरुआत भी वित वर्ष 2016-17 के दौरान ही हुई थी. कोविड महामारी के दौरान यूपीआई के इस्तेमाल में जबरदस्त तेजी आई. फरवरी 2024 के आंकड़ों के अनुसार, यूपीआई ट्रांजेक्शन की मात्रा अब बढ़कर रिकॉर्ड 18.07 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गई है.

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