आधार आज के समय में बहुत जरूरी दस्तावेज बन चुका है. बैंक में अकाउंट खुलवाना हो या नया सिम कार्ड लेना हो, आधार की जरूरत पड़ ही जाती है. इसके चलते कई सारे काम आसान हो गए हैं और चुटकियों में संभव हो गए हैं. इसके साथ ही आधार से जुड़े अपराधों में भी तेजी आई है. हालांकि आधार से जुड़ी गड़बड़ियां बहुत भारी पड़ जाती हैं, क्योंकि इनके लिए भारी-भरकम जुर्माने से लेकर जेल तक की सजा का प्रावधान किया गया है.

इस तरह से होता है गलत इस्तेमाल

आधार कार्ड से जुड़ा सबसे बड़ा रिस्क है फ्रॉड का. अगर गलती से किसी के हाथ आपका आधार या आधार से जुड़ी जानकारियां लग जाती हैं, तो उनका दुरुपयोग किया जा सकता है. ये दुरुपयोग वित्तीय नुकसान से लेकर पहचान की चोरी यानी आइडेंटिटी थेफ्ट तक के हो सकते हैं. आधार से जुड़ी जानकारियों का इस्तेमाल कर आपके बैंक अकाउंट से पैसे निकाले जा सकते हैं. आपके नाम पर सिम कार्ड लिया जा सकता है और उसका गलत कामों में इस्तेमाल किया जा सकता है.

आपको हो सकती हैं ये परेशानियां

अगर इस तरह का कोई अपराध होता है, उसमें आधार कार्ड के मूल धारक को काफी परेशानियां उठानी पड़ती हैं. उदाहरण के लिए- अगर किसी ने आपके आधार का इस्तेमाल कर फाइनेंशियल फ्रॉड किया तो आपके बैंक अकाउंट को खाली किया जा सकता है और आपकी सेविंग व कमाई को चूना लगाया जा सकता है. इसी तरह सिम कार्ड लेने या होटल बुक करने में आपके आधार का इस्तेमाल होता है तो आपको पुलिस-प्रशासन के झमेले में फंसना पड़ सकता है.

क्या कहता है आधार का कानून?

आधार के धारकों को इस तरह के अपराधों और आधार व उससे जुड़ी जानकारियों के दुरुपयोग से बचाने के लिए कानूनी उपाय किए गए हैं. आधार अधिनियम 2016 (संशोधित) के तहत आधार से जुड़े अपराध और उन अपराधों के मामले में दी जाने वाली सजा के उपाय हुए हैं.

इन मामलों में 3 साल तक की जेल

आधार एनरॉलमेंट में गलत जानकारी देने पर 3 साल की जेल या 10 हजार का जुर्माना या दोनों हो सकता है. अगर कोई व्यक्ति किसी आधार नंबर का इस्तेमाल कर उसमें नाम-पता या बायोमीट्रिक की जानकारियों के साथ छेड़छाड़ करता है तो ऐसी स्थिति में भी 3 साल की जेल या 10 हजार का जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है.

इस अपराध में 1 लाख का जुर्माना

अगर कोई अपने आप को अधिकृत बताकर गलत तरीके से आपसे आधार से जुड़ी जानकारियां जमा करता है, तो इस मामले में भी सजा का प्रावधान है. अगर अपराध करने वाला इंडिविजुअल हुआ तो उसे 3 साल तक की जेल या 10 हजार का जुर्माना या दोनों हो सकता है. कंपनी के मामले में जुर्माने की रकम बढ़कर 1 लाख रुपये हो जाती है. अनाधिकृत इस्तेमाल में भी यही सजा है.

इन मामलों में सबसे कड़ी सजा

आधार के सेंट्रल रिपॉजिटरी में सेंध लगाने पर कम से कम 10 लाख रुपये के जुर्माने और 10 साल तक की जेल की सजा का प्रावधान है. रिपॉजिटरी में डेटा से छोड़छाड़ करने पर भी इतनी ही सजा मिल सकती है.

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