सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ''निचली अदालत मामले पर संज्ञान ले चुकी है. नियमित बेल याचिका भी खारिज हो चुकी है तो ऐसे में गिरफ्तारी की चुनौती पर सुनवाई का आधार नहीं बनता.'' मामले में मंगलवार (21 मई, 2024) को भी कोर्ट में बहस हुई थी. हेमंत सोरेन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने तो ईडी की तरफ से असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने मंगलवार और बुधवार को दलील दी.
किसने क्या दलील दी?
कपिल सिब्बल ने कोर्ट में सुनवाई के दौरान कहा कि यह 8.86 एकड़ जमीन का मामला है और इससे हेमंत सोरेन का कोई लेना-देना नहीं है. सभी रिकॉर्ड सही है तो ऐसे में कोई विवाद नहीं बनता है. वहीं एसवी राजू ने कहा कि ऐसा कहना गलत है कि इसमें विवाद नहीं बनता.
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने यह तथ्य छिपाने के लिए हेमंत सोरेन से नाखुशी जताई कि उन्होंने निचली अदालत में जमानत याचिका दायर की थी. कोर्ट ने कहा कि 4 अप्रैल को ट्रायल कोर्ट ने ईडी की चार्जशीट पर संज्ञान ले लिया था. नियमित ज़मानत याचिका भी लंबित थी और इन बातों को याचिका में छुपाया गया.
इसके जवाब में कपिल सिब्बल ने कहा कि यह उनकी गलती है, जो कि जानकारी के अभाव में हुई. उसकी सजा सोरेन को न मिले, लेकिन जजों ने कहा कि बेहतर है कि वह दूसरे कानूनी विकल्प देखें. इस याचिका पर सुनवाई नहीं हो सकती.
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