आज की सत्ता लखनऊ : प्रदेश के विभिन्न जिलों से आ रहीं शिकायतों को देखते हुए शासन ने अब सभी जिलों में परिषदीय शिक्षकों की फर्जी नियुक्तियों की जांच कराने का फैसला किया है। सूबे के सात जिलों में शिक्षकों की फर्जी नियुक्तियों की जांच कराने का गुरुवार को आदेश देने के बाद अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा डॉ.प्रभात कुमार ने प्रदेश के बाकी 68 जिलों में भी अनियमित तरीके से की गईं नियुक्तियों की जांच कराने का शासनादेश जारी कर दिया है।

 वर्ष 2010 के पश्चात पूरे प्रदेश के समस्त परिषदीय विद्यालयों में हुई फ़र्ज़ी नियुक्तियों की जांच का आदेश, जिला स्तर पर डीएम की अध्यक्षता में बनेगी तीन सदस्यों की जांच समिति करेगी। प्रदेश के शेष 68 जिलों के जिलाधिकारियों को जारी किये गए आदेश में वर्ष 2010 के बाद की गईं फर्जी/अनियमित नियुक्तियों की जांच कराने का निर्देश दिया गया है। फर्जी नियुक्तियों की जांच के लिए प्रत्येक जिले में अपर जिला मजिस्ट्रेट की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति गठित की गई है जिसमें अपर पुलिस अधीक्षक और सहायक मंडलीय शिक्षा निदेशक (बेसिक) को सदस्य बनाया गया है। जिलाधिकारी अपनी निगरानी में यह जांच कराएंगे जिसकी नियमित समीक्षा अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा करेंगे।

इन बिंदुओं पर होगी जांच चयन सूची से होगा मिलान जिलाधिकारियों को फर्जी नियुक्तियों की जांच में विभिन्न बिंदुओं को शामिल करने का निर्देश दिया गया है। जांच में इस अवधि में बेसिक शिक्षा विभाग में नियुक्त हुए शिक्षकों का उनके चयन वर्ष में प्रकाशित मेरिट सूची से मिलान किया जाएगा। यह तस्दीक करने के लिए कि वर्तमान में जो शिक्षक पढ़ा रहे हैं, वे वही हैं जिनके नाम चयन सूची में थे।

वेतन सूची से की जाएगी तस्दीक कोषागार से वेतन सूची प्राप्त कर यह भी जांच की जाएगी कि जो शिक्षक अभी कार्यरत हैं, क्या वे वही चयनित शिक्षक/कर्मचारी हैं जिनके नाम चयन वर्ष की मेरिट सूची में थे। देखा जाएगा कि जिन शिक्षकों का नाम चयन सूची में था, उन्होंने इसके लिए कोई आवेदन किया था या नहीं। इस संदर्भ में विज्ञापन/आवेदन पत्र/चयनित अभ्यर्थी की आवश्यक योग्यता की जांच भी होगी।

शैक्षिक प्रमाणपत्रों का होगा सत्यापन परीक्षण किया जाएगा कि जो शैक्षिक प्रमाणपत्र अभ्यर्थी ने लगाये हैं, उनका असली धारक वहीं अभ्यर्थी है। प्रमाणपत्र का संबंधित बोर्ड से सत्यापन कराया जाएगा। चयनित अभ्यर्थियों की ओर से दिये गए दिव्यांगजन, अनुसूचित जाति, जनजाति तथा अन्य आरक्षित वर्ग के प्रमाणपत्रों का फिर से सत्यापन कराया जाएगा।

सीधे नियुक्ति पत्र पाने वाले संदेह के घेरे में शासन को ऐसी शिकायतें मिली हैं जिनमें अभ्यर्थियों ने सीधे बेसिक शिक्षा कार्यालय से नियुक्ति पत्र हासिल किए। ऐसे शिक्षकों की सूची भी तैयार की जाएगी जिन्होंने नियुक्ति पत्र रजिस्टर्ड डाक की बजाय सीधे प्राप्त किये और अपनी योगदान आख्या स्कूलों में दी।

देवेन्द्र प्रताप सिंह कुशवाहा
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