यह है आजाद भारत की तस्वीर। जहां हमने अंग्रेजो की हुकुमत से भले ही आजादी पा ली हो। लेकिन उनकी दास प्रथा से आज भी मुक्ति नहीं मिल सकी है। कुछ ऐसी ही तस्वीरें बुन्देलखंड के झांसी में नजर आई हैं। यहां पुलिस ने दो बंधुआ मजदूरों को मुक्त कराया है। इन दोनों मजदूरों से एक हिस्ट्रीशीटर जंजीरों में बांधकर जानवरों का गोबर डलवाता और मजदूरी करवाता है। यदि वह विरोध करते तो उनके साथ जानवरों की तरह बरताव करते हुए मारपीट की जाती है। यहां तक कि उनके हाथों के नाखुन भी उखाड़ दिये गये। पुलिस मुक्त कराये गये दोनों मजदूरों और एक आरोपी को पकड़कर थाने ले आई जहां उनसे पूछतांछ की जा रही है। 

झांसी महानगर से लगभग 20 किलोमीटर दूर रक्सा थाना क्षेत्र में शिवगढ़ मवई गांव है। जहां रक्सा थाने की पुलिस ने एक शिकायत पर गांव के रहने वाले राजेन्द्र पाठक के घर अचानक पहुंचकर छापा मारा। पुलिस ने छापा मारते हुए जंजीरों में बंधे दो मजदूरों को मुक्त कराया। इसके साथ ही एक आरोपी को भी हिरासत में ले लिया गया। मुक्त कराये गये मजदूरों और आरोपी को पकड़कर थाने लाया गया। मजदूरों की दर्द भरी दांस्ता सुनकर किसी के भी रोंगटे खड़े हो जायंेगे। डरे सहमे बैठे मजदूरों ने अपना नाम बब्लू अहिरवार निवासी हंसारी और शिवम सिंह राजपूत निवासी इलाहाबाद बताया है। दोनों मजदूरों की मानें तो पुलिस ने जब छापा मारा तो घर का एक सदस्य एक मजदूर को लेकर भागने में सफल हो गया। जिसे वह काफी दिनों से बंधक बनाए है।

जंजीरों में बांधकर करे थे पिटाई

मजदूर शिवम सिंह राजपूत ने कहाना है कि मजदूरी के लिए उसे गुजरात जाना था। 11 दिन पहले वह ट्रेन द्वारा इलाहाबाद से झांसी आया। झांसी से गुजरात जाने के लिए उस दिन ट्रेन नहीं थी। उसे भूख लगी थी लेकिन जेब में रुपए नहीं थे। स्टेशन पर मौजूद लोगों से जानकारी हुई कि झांसी के चित्रा चौराहे पर स्थित सबका मालिक एक है, मजार पर फ्री खाना मिलता है। इस पर वह वहां खाना खाने चला गया। खाना खाने के बाद जब वह फुटपाथ पर बैठा हुआ था। तभी उसके पास एक युवक आया और कहा कि उसके घर में जन्मदिन है। वह उसके साथ चलकर काम करे। उसे 300 रुपए मिल जायेंगे। रुपयों की जरुरत थी इसलिए वह उसके साथ मजदूरी के लिए चल दिया। उक्त युवक उसे अपने घर ले गया। जहां जबरन पकड़कर पहले जंजीरों से बांधा। इसके बाद मारपीट की। वह कारण पूछंता रहा है लेकिन रहम नहीं आया। अगले दिन सुबह उसे जगा दिया और जानवरों को उससे गोबर डलवाते हुए मजदूरी कराई। उसने जब करने से मना किया तो उसके साथ फिर पिटाई की गई। उसके साथ जानवरों की तरह बरताव किया जा था। यहां तक कि उसे भर पेट खाना भी नहीं दिया जाता था। वह पल-पल मौत मांग रहा था।

दो दिन में एक दिन मिलता था बासा खाना

वहीं दूसरे मजदूर बब्लू अहिरवार का कहना है कि एक माह पहले वह मजदूरी के लिए चित्रा चौराहे पर था। तभी वहां उक्त युवक आया और मजदूरी के लिए अपने साथ घर ले गया। जहां उसे भी जंजीरों में बांधकर पिटाई दी गई। इसके बाद उससे भी जानवरों का काम कराया गया। उसने जब उनके चंगुल से भागने का प्रयास किया तो उसके साथ भी मारपीट करते हुए उसकेे हांथ के नाखुन निकाल दिये गये है। इतना नहीं उनके साथ पुरुष तो छोड़िए घर की महिलायें और बच्चे भी गाली गलौज कर मारपीट करते थे। उन्हें दो दिन में बासा खाना खाने को दिया जाता था।

मामले की जानकारी देते हुए रक्सा थाना प्रभारी ने बताया कि आरोपी को हिरासत में ले लिया गया है। पूछतांछ की कार्रवाही की जायेगी।

रिपोर्ट: उदय नारायण कुशवाहा (झांसी)
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