आज की सत्ता -
विश्व मानव अधिकार परिषद के  मध्य प्रदेश अध्यक्ष श्री अब्दुल हमीद जी ने एक मीडिया को प्रेस नोट में बताया आगे उनका प्रेस नोट का लेख । प्रिय दोस्तों ना जाने कितनी रातो को मैने जागकर काटा है एक बोझ सा हरपल में महसूस करता हु एक अजीब सी घुटन है मेरे दिल में जिसे में आप  सभी तक पहुँचा रहा हु उम्मीद है की आप इस गलत सोच पर जरूर बिचार करेगे ।
आज हमारे देश में हर धर्म जाती के लोग इस गलत सोच की पकड़ में है में धर्म और जाती के विपरीत नही हु नाही किसी भी बिभाग बा कर्मचारी का बिरोधी हु आज समाज में हर जाति धर्म के लोगो की यही सोच बन चुकी है की कुछ भी कर लो बस पैसा वा नाम ही जिन्दगी का मकसद व् लक्छ है चाहे उसके लिये करप्शन लूट घूसखोरी हत्या बलात्कार धोका देना और लोगो को शर्मसार करना एक आम बात है ऐसा हमारे देश में कोई विभाग नही होगा नाही किसी जाति धर्म का कानून जिस जाति धर्म में इन चीजो को गुनाह अधर्म ना समझा जाता हो पर हम सब लोग अपने जमीर को टटोल कर तो देखे आज हमारी आँखों के सामने किया किया नही होता और हम सबने एक गलत सोच बना रखी है की ये काम मेरा नही दूसरे विभागों का है उदहारण आज कोई हमारी आँखों के सामने एक्सिडेंट होता है कोई हमारे और आप के सामने तड़पता रहिता है और दम तोड़ देता है और हम यही सोचते है की पुलिस आयेगी हमे किया करना है अगर हम इन्सान है तो हमारे अन्दर इंसानियत भी होना जरूरी है राम चरित्र मानस की चोपाई भी कहती है की परहित सरस धर्म नही भाई पर पीड़ा सम नही अदमाई अगर हम सब में थोडी सी इंसानियत अपने अन्दर पैदा हो जाये तो कभी भी मानव अधिकार का हह्न नही होगा अगर प्रशाशन चाहे और प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी इंसानियत का थोड़ा सा भी हक अदा करने पर आ जाये तो आने बाली पीडी आशानी से इस नसे की पकड़ से बच सकती है अगर देश के कुछ लोगो के अंदर वेबा यतीम बिकलांग और गरीबो से मोहब्बत हो जाये अगर हम सब मिलकर किसी भी बच्चे को काम से हटाकर इस्कुल भेजने की चिन्ता कर ले ये ना सोचे की यह बच्चा किसका है बस हमारे दिल में यह सोच हो की यह इन्सान है आज 60 परसेन्ट बच्चे आशिचित है हमारी एक गलत सोच की बजय है की ये काम मेरा नही किसी और का है कई बच्चे होटल पर बर्तन माँजते है हमने अपने देश के भाबिषय का कितना बड़ा नुकसान किया है हमे सायद इसका अंदाजा भी नही है हम सब मिलकर सारे अच्छे कामो को अपनी जिमेदारी बना ले और हर बुराई का बिरोध करने बाले बन जाये।
जय हिन्द  जय भारत
राजेन्द्र भगत  सह -संपादक जम्बू कश्मीर 
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