मुंबई। महाराष्ट्र के भीमा-कोरेगांव हिंसा केस में पुणे पुलिस ने मंगलवार को देश के 6 शहरों में छापा मारा। इस दौरान हैदराबाद से वामपंथी कार्यकर्ता-लेखक वारवरा राव और छत्तीसगढ़ में ट्रेड यूनियन कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज समेत 5 लोगों की गिरफ्तारी हुई। यह कार्रवाई एल्गार परिषद और नक्सलियों के संपर्क की जांच के बाद की गई। परिषद के कार्यक्रम में 31 दिसंबर को हिंसा हुई थी। पुलिस ने इसके पीछे नक्सलियों का हाथ होने का दावा किया था। माकपा ने गिरफ्तारी और पूछताछ की आलोचना की।

एक पुलिस अफसर ने बताया कि भारद्वाज और राव के अलावा ठाणे से वेरनन गोंजालवेज, फरीदाबाद से अरुण फरेरा और दिल्ली से गौतम नौलखा को पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया गया। वहीं, रांची में स्टेन स्वामी और गोवा में आनंद तेलतुबडे से पूूछताछ की गई। अलग-अलग शहरों में छापेमारी के दौरान अहम दस्तावेज बरामद हुए। सामाजिक कार्यकर्ताओं के बैंक खातों की जानकारी भी खंगाली जा रही है। कोरेगांव हिंसा से जुड़े एक आरोपी के घर की जून में तलाशी ली गई थी। यहां से मिली चिट्ठी में वारवरा राव का नाम था।
चिट्ठी में मोदी की हत्या की साजिश का जिक्र : पुणे पुलिस ने दावा किया था कि आरोपी से मिली चिट्ठी में लिखा- ''नरेंद्र मोदी हिंदूवादी नेता हैं और देश के 15 राज्यों में उनकी सरकारें हैं। अगर वे इसी रफ्तार से आगे बढ़ते रहे तो बाकी पार्टियों के लिए मुश्किलें बढ़ जाएंगी। ऐसे में मोदी के खात्मे के लिए सख्त कदम उठाने होंगे। इसलिए कुछ वरिष्ठ कामरेड ने कहा है कि राजीव गांधी हत्याकांड जैसी घटना को अंजाम देना होगा। ये मिशन फेल भी हो सकता है। लेकिन पार्टी में इस प्रस्ताव को रखा जाना चाहिए। मोदी को मारने के लिए रोड शो का वक्त सबसे सही समय होगा।'' चिट्ठी में एम-4 राइफल और गोलियां खरीदने के लिए 8 करोड़ रुपए की जरूरत होने की बात भी कही गई।
जून में पांच लोगों की हुई थी गिरफ्तारी : दलित कार्यकर्ता सुधीर धवाले को मुंबई, वकील सुरेंद्र गाडलिंग, कार्यकर्ता महेश राउत और शोमा सेन की नागपुर से गिरफ्तारी हुई थी। रोना विल्सन को दिल्ली के मुनीरका स्थित उनके फ्लैट से गिरफ्तार किया गया था। पुलिस के मुताबिक, इन आरोपियों के संबंध प्रतिबंधित भाकपा (माओवादी) गुट से थे। विश्रामबाग पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर में इन पर भड़काऊ भाषण देने का आरोप है, जिसके बाद भीड़ हिंसक हो गई थी।
दलित संगठनों ने किया था आयोजन : 1 जनवरी 1818 को भीमा-कोरेगांव की लड़ाई में पेशवा बाजीराव द्वितीय पर अंग्रेजों ने जीत दर्ज की थी। इसमें दलित भी शामिल थे। बाद में अंग्रेजों ने कोरेगांव में अपनी जीत की याद में जयस्तंभ का निर्माण कराया था। आगे चल कर यह दलितों का प्रतीक बन गया। लड़ाई की 200वीं सालगिरह के मौके पर दलित संगठनों ने कार्यक्रम का आयोजन किया था। इसी दौरान हिंसा में एक युवक की मौत हो गई और 50 गाड़ियां फूंकी गईं।
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