कन्नौज से विमलेश कुशवाहा की रिपोर्ट

कन्नौज। कबाड़ बीनने के दौरान चार किशोर काली नदी के गहरे पानी में डूब गए, जिसमें तीन ने खुद के प्रयास से अपनी जान बचा ली, लेकिन गहरे पानी में चले जाने के कारण एक किशोर नदी में डूब गया, जिसकी देर रात तक तलाष होती रही। जल स्तर काफी अधिक तथा बहाव तेज होने के कारण गोताखोरों को भी काफी मुष्किलों का सामना करना पड़ा। हांलाकि गोताखोर किषोर के शव को तलाषने में देर शाम तक जुटे रहे। किन्तु उन्हें निराषा ही हांथ लगी।
घटनाक्रम के अनुसार सदर कोतवाली क्षेत्रान्तर्गत ग्राम चैराचांदपुर से होकर काली नदी गुजरती है, जो महादेवी घाट जाकर गंगा से मिल जाती है। लगातार हो रही बारिष और नरौरा बांध से पानी छोड़े जाने के बाद गंगा सहित काली व अन्य नदियांे का जलस्तर इन दिनों काफी बड़ा हुआ है। यहां तक कि पानी अधिक होने के कारण बाढ़ की संभावना बनी हुई है, जिस कारण जिला प्रषासन भी सजग है और उसके द्वारा स्नान आदि पर पूरी तरह से सक्रियता बरतने के निर्देष जारी किए जा चुके है। बावजूद इसके लोगों द्वारा लापरवाही बरती जा रही है, जिसका खामियाजा कभी-कभी उन्हें अपनी जान देकर भुगतना पड़ रहा है।

सागर गहरे पानी में चला गया

ताजा मामला शुक्रवार को उस समय प्रकाष में आया जब सदर कोतवाली क्षेत्र के मोहल्ला मौसमपुर अल्लहड़ निवासी 15 वर्षीय सागर पुत्र अल्ला अपने तीन अन्य साथियों 14 वर्षीय गोपाल पुत्र शक्ति, 14 वर्षीय छोटा पुत्र सुजीत और 12 वर्षीय षिवा पुत्र नेता के साथ कबाड़ बीनने के लिए चैराचांदपुर गांव पहुंचा। यहां गली कूंचों में कबाड़ बीनते-बीनते गांव के समीप बहने वाली कालीे नदी के पास ये सभी कब पहुंच गए किसी को पता ही नही चला। इस बीच जब कुछ ग्रामीणों ने इन किषोरों को उफान पर चल रही काली नदी के समीप कबाड़ बीनते देखा तो उनके द्वारा इनको मना किया गया, लेकिन ग्रामीणों के समझाने के बाद भी ये किषोर बाज नही आए और कबाड़ बीनना तो छोड़ दिया नदी में नहाने लगे और एक दूसरे पर मौजमस्ती में नदी का पानी उछालने लगे। इसी बीच सागर गहरे पानी में डूबने लगा। सागर को डूबता देख उसके अन्य साथी हरकत में आए और चीख पुकार मचाते हुए अपने को नदी से बाहर किया। किषोरों की चीख पुकार सुन आनन-फानन में मौके पर आए कुछ ग्रामीणों ने सागर को बचाने के लिए नदी में छलांग भी लगाई, किन्तु पानी का तेज बहाव और जलस्तर अधिक होने के कारण ग्रामीण उसे बचा नही सके और सागर गहरे पानी में चला गया।
इधर किषोर के डूबने की खबर जंगल में आग की तरह फैल गई। उच्चाधिकारियों के निर्देष पर भारी पुलिस बल मौके पर पहुंचा और गोताखोरों के सहयोग से बचाव कार्य तेज किया। लेकिन देर शाम तक गोताखोरों को कोई सफलता हाथ नही लगी। घटना की खबर मिलते ही मौसमपुर अल्हड़ से पीड़ित परिजनों समेत सभी मोहल्लेवासी घटना स्थल पर पहुंचकर रोते बिलखते रहे।

ग्रामीणों के समझाने पर भी नही माने किशोर

लगातार हो रही बारिष के कारण गंगा सहित जिले के आसपास बह रहीं सारी नदियों का जलस्तर काफी बड़ा हुआ है, जिस कारण प्रषासन द्वारा नदी किनारे निवास करने वाले लोगों को एलर्ट किया गया है कि वे खुद तो सावधान रहें हीें साथ ही दूसरों को भी चैकन्ना रखें ताकि कोई अप्रिय घटना न हो। शुक्रवार को हुई घटना में चैराचांदपुर के ग्रामीणों ने पूरी तत्परता दिखाई लेकिन मौसमपुर अल्हड़ निवासी इन मासूम किषोरों ने ग्रामीणों की चेतावनी को दरकिनार कर दिया और अपनी मनमानी करते हुए मौत को गले लगा लिया। वो तो ईष्वर का करम रहा कि घटना में तीन किषोरों की जान बच गई, अन्यथा घटना और बड़ी हो जाती, जो निष्चित तौर पर इन चारों किषोरों के परिवारों के लिए कहर बनकर टूटती।

मजदूर पिता के साथ कबाड़ बीनकर घर का सहारा था सागर

सदर कोतवाली के अन्तर्गत मौसमपुर अल्हड़ जोकि काफी अतिपिछड़ा मोहल्ला कहा जाता है, यहां अधिकांष परिवार के मुखिया मेहनत-मजदूरी करके अपने परिवार का जीवन यापन कर रहे हैं। सागर के पिता अल्ला भी मेहनत-मजदूरी का काम करता है। वह स्थानीय मण्डी समिति कन्नौज मे पल्लेदारी का कार्य कर घर का जीवन यापन कर रहा है। चार संन्तानों के पिता अल्ला की कम आमदनी होने के कारण वह अपने बच्चों को पढ़ाई-लिखाई का भी अच्छा माहौल भी नही दे सका। यही कारण है कि उसकी सन्ताने भी ऐसे ही कार्य कर पिता का हाथ बटा रहे हैं। नदी में डूबने वाला सागर अल्ला की दूसरी सन्तान है। वह कबाड़ बीनकर अपने पिता का हाथ बटाता था। सागर के डूबने की घटना से पूरा परिवार सदमे में है। पिता अल्ला सहित सभी परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। घटना से दुखी सागर के मामा अजय ने तो उसकी तलाष के लिए खुद ही नदी में छलांग लगा दी, लेकिन परिजनों और ग्रामीणों उसे नदी से बाहर निकाल लिया।
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