भाजपा का ऊँट इछावर मे किस करवट बैठेगा!टिकट को लेकर भाजपा मे घमासान जारी!कांग्रेस से वर्तमान विधायक शैलेन्द्र पटेल तय।

राजेश शर्मा



कहते हैं इतिहास दोहराया जाता है बस पात्र बदल जाते है। यही कहावत सीहोर जिले के इछावर विधानसभा सीट पर फिलहाल चरितार्थ हो रही  है।
पहले जहाँ 23 वर्षों से कांग्रेस मे टिकट को लेकर ऊहापोह की स्थिति बनी रहती थी। कांग्रेस प्रत्याशी का चयन पार्टी को अंतिम समय मे करना पड़ता था और वह प्रत्याशी अपने समर्थकों के सांथ निर्णायक कैंपनिंग नहीं कर पाता नतीजतन अंतिम समय मे चुनाव हार जाता था। साँथ ही बागी प्रत्याशी एंव बत्तीदार कांग्रेस के कद्दावरों की विशेष  भूमिका भी परिणाम प्रभावित करने मे अहम भूमिका अदा करता रही और भाजपा का 1985 से लहराया ध्वज सीधी-सीधी टक्कर मे कांग्रेस के शैलेन्द्र पटेल के आगे सन् 2013 मे झुक गया। 744 के काफी कम मतों के अंतर से पटेल भाजपा के विजयी रथ को थामने मे सफल तो रहे लेकिन विपक्ष मे होने के कारण चुनौतियों का भी पसीने से ही आचमन करना उनके लिए मजबूरी बन गया।
लेकिन इस मर्तबा 2013 के चुनाव से परिस्थितियां भिन्न हैं क्योंकि शैलेन्द्र पटेल को मालूम है कि कांग्रेस से उनको ही चुनाव लड़ना है ऐसे मे उनका चुनाव प्रचार भी शुरु हो गया है। वे भाजपा  के गड़ कहे जाने वाले इलाकों  की खाक छानने मे जुटे दिखाई दे रहे हैं । या दूसरे शब्दों मे यूं कहें कि बतौर कांग्रेस प्रत्याशी के रुप मे कांग्रेस के शैलेन्द्र पटेल का चुनाव प्रचार आरंभ हो गया है ।
लेकिन भाजपा के साँथ स्थिति बिलकुल विपरीत बनी हुई है क्योंकि पूर्व राजस्व मंत्री करणसिंह वर्मा को टिकट के तीन अन्य दावेदारों से भी निपटना है। पार्टी का एक धड़ा नहीं चाहता कि भाजपा पिछले पराजित प्रत्याशी को टिकट दे उनकी कोशिश है कि नया उम्मीदवार ,नये नेता को मौका मिलना चाहिए।
यदि भाजपा ने उम्मीदवार बदलने का मन बना ही लिया तो नया कौन ? यह सबसे बड़ा सवाल आम मतदाताओं के ज़हन मे उठ रहा है ।
राजनीति के विशारदों का मत है कि टिकट को लेकर भाजपा मे बनी ऊहापोह,खींचतान की स्थिति आगे चलकर पार्टी के लिये मैदानी कमजोरी साबित हो सकती है जो चुनाव परिणाम पर गहरा असर साबित होगी।
राजनीति के जानकार बताते हैं कि चेहरा बदलने के लिए पार्टी को चौतरफा सोचना होगा क्योंकि इसबार कांग्रेस फील्ड मे है और भाजपा दफ्तरों के अंदर।
यदि भाजपा ने चेहरा बदलने का निर्णय ले ही लिया तो दो बार के अपराजित मंडी अध्यक्ष शंकरलाल पटेल एंव उभरते भाजपा नेता डा अजय पटेल के नाम भाजपा के लिए विचारणीय है। इनमे से भाजपा के कद्दावर नेता शंकरलाल पटेल की कृषि उपज मंडी चुनाव की अपराजयता उनके लोकप्रियता मे सील-सिक्के लगाती प्रतीत हो रही है।इसके अलावा आधा दर्जन भाजपा के नामदार नेता भी टिकट के लिये दिनरात भोपाल पहुंच अपनी दावेदारी जता रहे हैं !
खास बात यह भी है कि ये वही नेता हैं जो पिछले दो दशकों से करणसिंह वर्मा की चमकदारी मे चौंधिया से गए थे लेकिन इसबार वे टिकट के लिये खुलकर पुरजोर प्रयास करते दिखाई दे रहे है।
भाजपा के आला नेताओं के गले उतारा जा रहा है आखिर टिकट उन्हें  क्यों ? हमे क्यों नहीं !!!
कुल मिलाकर इछावर विधानसभा सीट पर पहली मर्तबा टिकट मसले को लेकर भाजपा बेकफुट पर नज़र आ रही है। कांग्रेस से जहाँ प्रत्याशी फाइनल है वहीं भाजपा अब भी जीत के प्रत्याशी को टटोलने मे आगे-पीछे दिखाई दे रही है।

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