राजेश शर्मा भोपाल 


मीडिया को खरीदा भी जा सकता है लेकिन चौराहे,होटलों,अनपड़ बुज़ुर्ग,वृद्ध महिलाएं,कामकाजी गृहणी,कुन्ठित युवाओं की बेबाक बातचीत अनमोल है इन बातचीतों का निचोड़ एयर कंडीशनर रुम या आफिस से नहीं बल्कि रोडों पर चप्पल घिसकर या गलियों की खाक छानकर ही निकाला जा सकता है।
फिलहाल इनकी बातचीतें कांग्रेस के लिए सोना उगल रही हैं जिसकी भनक भाजपा एंव कांग्रेस दोनों को ही लग चुकी है भाजपा इसी वजह से उत्साह मे अधिक और विश्वास मे कम नज़र आने लगी है। वर्तमान मे भाजपाईयों के चेहरे से असली रंगत गायब है हंसी के नाम पर सिर्फ़ ठहाके ही लगाए जा रहे हैं। चुनाव सिर पर आ चुके हैं लेकिन मप्र मे भाजपा की मुसीबतें पैर पसारने से पीछे नहीं हट रही हैं जिस गुटबाजी की दीमक ने 15 वर्ष पहले काँग्रेस को चट किया था वही अब एन मौके पर पता चला कि वर्षों  पहले ही भाजपा को लग चुकी थी। दीमक नुकसान पहुंचा चुकी है यह तय है बस नुकसान का आंकलन ही शेष है राजनीति के विशेषज्ञों द्वारा इसकी परत दर परत निकाल खुलासा शुरु भी हो गया है।

दूसरी तरफ कांग्रेस भी रुझानों की महक से कुछ ज्यादा ही महकाने लगी है एमपी में अभी विधानसभा चुनाव हुए नहीं है उसके पूर्व ही मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी में कावीज़ मीडिया सेल के प्रभारी सहित प्रवक्तागण अपने आप को सत्ताधारी मानने लगे हैं। भाजपा की तर्ज पर ही मीडिया को झेलना शुरू कर दिया, लेकिन कांग्रेस को यह नहीं मालुम कि जिस मीडिया को अपनी गोद में बैठा लिया है उसके अलावा भी सशक्त मीडिया भी है जो कांग्रेस को भारी मुसीबत में डाल सकता है। वैसे ही बीएसपी ने कांग्रेस से किनारा कर लिया है, दिग्गी का शासनकाल लोगों के ज़हन से पूरी तरह निकला नहीं है, भाजपा बार बार मुद्दा बना रही है। बेहतर होगा अगर कांग्रेस को सत्ता हासिल करना है तो मीडिया के हर व्यक्ति को एहमियत देना जरूरी होगा फिर चाहे वो प्रिंट मीडिया से हो या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से या बेवसाइट से।
कांग्रेस को बसपा की कन्नी काटने के नुकसान की भरपाई सपाक्स आंदोलन कर रहा है इसमे कोई दो मत नहीं हैं। ठंडी बयारें कांग्रेस की तरफ चलने लगी हैं लेकिन इन लम्हों मे जोश पाकर होंश गवांना कांग्रेस के लिए दुखदायी भी हो सकता है। किसी भी सर्वे (मीडिया या अन्य) के रिपोर्ट से हवा का रुख बदलने वाला नहीं है क्योंकि आम लोग समझ चुके हैं कि सर्वे रिपोर्ट की धाराएं खरीदफरोक्त की नदी से निकल रही हैं। बस चाल-चलन मे कांग्रेसिया स्टाइल पर अंकुश लगा रहे।
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