1- कांग्रेस मेरी खून की प्यासी है.. मेरी हत्या की साजिश रच रही है.. मैं शिवराज सिंह हूं मर भी गया तो भी अगला जन्म लेकर जनता की सेवा करूंगा. ( जनआर्शीवाद यात्रा में रथ पर हुई पत्थरबाजी और विरोध प्रदर्शन के बाद शिवराजसिंह के बोल )

2- सुन ज्योतिरादित्य तेरी रगों में जीवाजीराव का खून है . जिसने बुंदेलखंड की बेटी झांसी की रानी का खून किया था. अगर उपकाशी हटा में प्रवेश कर धरती को अपवित्र करने की कोशिश की तो गोली मार दूंगा. लुहारी में ही या तो तेरी मौत होगी या मेरी. ( यह धमकी लहार विधायक उमादेवी के बेटे प्रिंसदीप की है)

3- मैं सीधी की सांसद हूं.. ( रीता पाठक विरोध प्रदर्शन घेराव में फंसी हैं. ) कहती हैं - एससी एसटीएक्ट पर हमने कुछ नहीं किया ऐसा लगता है आपको तो लाओ तलवार से हमारा गला काट दो.

4- मुख्यमंत्री के खिलाफ अपमानजनक बाते बर्दाश्त नहीं की जाएंगी. जो यह करेगा उसे गायब कर दिया जाएगा. यह बयान भाजपा सांसद मनोहर उंटवाल का है.

ये शक्ति सामंत या मनमोहन देसाई की किसी हिंदी फिल्म के डॉयलॉग नहीं हैं. बल्कि मध्यप्रदेश में वोटों की राजनीति के लिए लिखी जा रही पटकथा के अंश हैं. ये ट्रेलर बता रहा है कि इस बार का चुनाव थ्रिलर, दहशत, खून –खराबे के डायलॉग से भरा और आपसी दुश्मनी की हद तक गुजरता दिखाई दे रहा है. जहां पर बोलने से पहले न तो जुबान संभाली जा रही है और न ही कोई लिहाज़ बरता जा रहा है. कांग्रेस और भाजपा नेता जनता के बीच एक दूसरे को नीचा गिराने की होड़ में लगे हैं. समर्थक भी पीछे नहीं है. पार्टी से हटकर व्यक्तिगत प्रहार हो रहे हैं.

भाजपा और कांग्रेस की सोशल मीडिया में आगे निकलने की मुहिम ने ऐसे डॉयलाग्स की और भी भरमार कर दी है जिसे आम शालीन बोलचाल में कोई भी बोलना पसंद नहीं करता. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ एक प्रेस कांफ्रेंस में शिवराज सिंह को नालायक मित्र बोल जाते हैं तो कभी मदारी.

इस डॉयलॉग पर शिवराजसिंह का पूरा केंपेन शुरू हो जाता है. इधर कमलनाथ की उम्र को देखते हुए मंत्री गोपाल भार्गव उन्हें बूढ़ा कहते हैं. तो कांग्रेस उसे बूढ़े घोड़े की ताकत बताती है.कांग्रेस और भाजपा के बीच चल रहा यह डायलॉग वॉर जारी है. सपाक्स और आदिवासी युवा शक्ति जैसे संगठनों ने आक्रामक आंदोलन की राह पकड़ कर राजनीतिक माहौल गरमा दिया है. जगह जगह पोस्टर बैनर लगाकर एक दूसरे के ख़िलाफ माहौल बनाया जा रहा है.

जन प्रतिनिधियों के ख़िलाफ शुरू हुआ सपाक्स का आंदोलन समाज के अलग अलग वर्गों में पहुंच गया है. उसका नारा-हम हैं माई के लाल का असर यह है कि झाबुआ, अलीजराजपुर जैसे इलाकों में आदिवासी युवा शक्ति ने होर्डिंग्स लगा दिए हैं कि जो एससी एक्ट का विरोध करेगा उस पार्टी का समाज बहिष्कार करेगा.

कई राजनीतिक विश्लेषक मान रहे हैं कि पिछले कई दशकों में पहली बार ऐसा दिखाई दे रहा है जब चुनाव का माहौल तंग बनता जा रहा है. मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान खुद इस बात पर चिंता जताते हुए बयान दे रहे हैं कि मध्यप्रदेश की शांति को किसी की नजर न लग जाए. दूसरी और तनाव और विरोध की आशंका को देखते हुए खुफिया तंत्र उनकी जन आर्शीवाद यात्रा को अब रथ की बजाय हेलिकॉप्टर और कार में तब्दील कर रहा है.
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