मध्य प्रदेश I अनुसूचित जाति-जनजाति (SC/ST) संशोधन अधिनियम के खिलाफ सवर्ण संगठनों का बुलाया 'भारत बंद' देश के कई हिस्सों में शुरू हो गया है. सवर्ण जातियों को बीजेपी का वोटबैंक माना जाता है जिसकी वजह से ये आंदोलन उसी के लिए सबसे बड़ा सिरदर्द साबित हो रहा है. मध्य प्रदेश, राजस्थान, यूपी और बिहार में इस बंद का असर देखने को मिल रहा है. मध्य प्रदेश के तीन जिलों मुरैना, भिंड और शिवपुरी में एहतियातन धारा 144 लागू कर दी गई है. इस बंद को सवर्ण समाज, करणी सेना, क्षत्रिय महासभा और सपाक्स जैसे संगठनों का समर्थन हासिल है. जानिए कौन हैं वो लोग जो इस आंदोलन को लीड कर रहे हैं...

1. हीरालाल त्रिवेदी (मध्य प्रदेश)
मध्य प्रदेश में एससी एसटी एक्ट विरोधी आंदोलन का मुख्य चेहरा हीरालाल त्रिवेदी हैं. हीरालाल सामान्य पिछड़ा अल्पसंख्यक कल्याण समाज (सपाक्स) के संरक्षक हैं और रिटायर्ड आईएएस अफसर और सूचना आयुक्त रहे हैं. इन्होने ही सवर्ण समाज के 131 अलग-अलग संगठनों को सपाक्स से जोड़ कर आंदोलन को आक्रामक रुख़ दे दिया है. चुरहट सीधी में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के रथ पर हुआ पथराव, चप्पल फेंकने की घटना हो या सांसदों, मंत्रियों का घेराव प्रदर्शन, तार सपाक्स आंदोलन से जुड़ रहे हैं. सपाक्स से जुड़े लोगों ने ही बीते दिनों प्रदर्शन कर रहे लोगों ने ग्वालियर में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र तोमर के बंगले का को घेर लिया इसके आलावा गुना में भी थावरचंद गहलोत को रास्ते में घेरकर प्रदर्शन किया गया.

मुरैना में विरोध-प्रदर्शन के दौरान राज्य के स्वास्थ्य मंत्री रुस्तम सिंह की गाड़ी रोक ली गई और उन पर पर कांच की चूड़ियां भी फेंकी गई. इस प्रदर्शन को भी मुख्य रूप से सामान्य, पिछड़ा एवं कर्मचारी संघ (सपाक्स) लीड कर रहा है. ये मध्य प्रदेश के अधिकारियों और कर्मचारियों का संगठन है और इसके लोगों ने बीते दिनों प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष राकेश सिंह का भी घेराव किया था. सपाक्स ने ही पदोन्नति में आरक्षण के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका लगाई हुई है. सपाक्स के आलावा अखिल भारतीय ब्राह्मण समाज भी कई जिलों में इस आंदोलन के लिए लोगों को संगठित कर रहा है. सवर्ण समाज पार्टी भी मध्य प्रदेश के कई इलाकों में सक्रिय है और सपाक्स के साथ मिलकर इस कानून का विरोध कर रहा है.

2. पंडित चिन्मय भारद्वाज (उत्तर प्रदेश)
अखिल भारतवर्षीय ब्राह्मण महासभा युवा प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष पंडित चिन्मय भारद्वाज एससी/एसटी संशोधन विधेयक के खिलाफ आंदोलन को लीड कर रहे हैं. उनके नेतृत्व में मथुरा में लाखों ब्राह्मण युवा सड़कों पर हैं. चिन्मय भारद्वाज ने कहा कि 2019 के चुनाव में उसी पार्टी को समर्थन देंगे जो एससी-एसटी एक्ट में बदलाव करने का आश्वासन देगा.

अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा के अध्यक्ष महेश दत्त शर्मा ने कहा कि एससी-एसटी एक्ट के मामले में सरकार को पुनः विचार करना चाहिए तथा सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में जो व्यवस्था दी थी, वही पुनः लागू करनी चाहिए. सरकार को ऐसा कानून नहीं थोपना चाहिए जिससे हिन्दू समाज में विभाजन की स्थिति पैदा हो. इसके अलावा महाराणा प्रताप राष्ट्रीय युवा सेना, भारतीय क्षत्रिय महासभा, मैथिल ब्राह्मण महासभा, अखिल भारतीय वैश्य एकता परिषद जैसे संगठन भी इस विरोध प्रदर्शन में शामिल हैं.

3. पाराशर नारायण शर्मा (राजस्थान)
राजस्थान के कई इलाकों में भी एससी एसटी एक्ट के विरोध में प्रदर्शन जारी हैं. यहां इस आंदोलन के प्रमुख नेता समता आंदोलन समिति के अध्यक्ष पाराशर नारायण शर्मा हैं. भारत बंद के दौरान स्थिति न बिगड़े इसके उन्हें गुरूवार सुबह हिरासत में ले लिया गया था. जाति आधारित आरक्षण व्यवस्था के खिलाफ 11 मई को 2008 को स्थापित समता आंदोलन समिति के संस्थापक अध्यक्ष पाराशर नारायण शर्मा मूलत: बीकानेर के रहने वाले हैं.

31 दिसंबर, 2017 को वाणिज्यकर विभाग से उपायुक्त पद से सेवानिवृत्त होने वाले पाराशर ने ही एससी-एसटी एक्ट के खिलाफ इस आंदोलन को खड़ा करने का काम किया है. जातिगत आरक्षण व्यवस्था के खिलाफ आवाज उठाने वाले पाराशर नारायण शर्मा सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में इससे संबंधित करीब तीन दर्जन केस लड़ रहे हैं. इन केसेज पर समिति कर्मचारियों और अधिकारियों से फंड एकत्र कर करीब चार करोड़ रुपए खर्च कर चुकी है. समता समिति के आलावा परशुराम सेना, ब्राह्मण कल्याण परिषद और श्री राजपूत करणी सेना भी इस प्रदर्शन में शामिल हैं.
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