ग्वालियर/ प्रदेश के पुलिस महकमें ने पहली छमाही के अपराध के जो आंकड़े जारी किए हैं उनसे पूरा ग्वालियर अंचल शर्मसार हो गया है, ताजा आंकड़ों में दहेज हत्या के मामले ग्वालियर महानगर ने प्रदेश के बाकी महानगरों को पीछे छोड़ दिया है। पुलिस अधिकारी बेहतर काउंसलिंग और महिला सुरक्षा की बात कह रहे हैं, वहीं सामाजिक कार्यकर्ता और वकील समाज में दहेज के प्रति लोगों की सोच बदलने की बात कह रहे हैं। दहेज प्रथा को रोकने के लिए कई कानून बनाकर कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है, लेकिन इसके बावजूद भी दहेज प्रताड़ना के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। इन्हीं प्रताड़नाओं से तंग आकर कई विवाहिताओं ने जान दे दी और कई महिलाओं की हत्या कर दी गई। अगर बात करें चार बड़े महानगरों की तो ग्वालियर दहेज हत्या के मामले में राजधानी भोपाल से आगे निकल लगा है। एक जनवरी से 31 जून तक ग्वालियर में दहेज हत्या के 12 मामले दर्ज किए गए हैं, जबकि भोपाल और इंदौर में सात-सात मामले और जबलपुर में 9 मामले दर्ज हुए हैं। पुलिस महकमें के आंकड़ों के अनुसार ग्वालियर में दहेज के लिए हर माह 2 हत्याएं हुई है, ये वहीं आकंड़े हैं जो पुलिस थानों में दर्ज हुए हैं कई मामले ऐसे भी होते है जो चार दिवारी तक निपट जाते हैं। ग्वालियर पुलिस का कहना है कि दहेज प्रताड़ना और हत्या को रोकने के लिए अलग से सेल का गठन किया गया है जो देहज संबंधी मामलों की काउंसलिंग करती है, इस तरह से अपराध रोकने के लिए पुलिस लगातार प्रयास कर रही है। वहीं सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि दहेज संबंधी मामलों को रोकने के लिए समाज को अपनी भूमिका निभानी होगी, क्योंकि हमें यह समझना होगा कि जो व्यक्ति या परिवार पहले दहेज की मांग रहा है वह बेटी को कैसे खुश रख पायेगा। कानून का काम तो सजा दिलाना है उसे रोकने का काम तो समाज का ही है। (साभार)
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