मुख्यमंत्री के गृह जिले की इछावर सीट



 तरुणाई की अंगड़ाई पर आश्रित,इछावर विधानसभा का फैसला

खास रिपोर्ट : राजेश शर्मा 


पिछले विधानसभा चुनाव 2013 मे कश्मकश मुकाबले मे कांग्रेस ने भाजपा को मात्र 744 मतों से शिकस्त दी थी। फैसले का कम अंतर दोनों ही प्रमुख राजनीतिक भाजपा एंव कांग्रेस की नींद उड़ाए हुए है। जहाँ कांग्रेस पार्टी इछावर सीट पर कब्जा बरकरार रखने और जीत का अंतर बड़ाने की नीयत से मैदान थामे हुए है वहीं भाजपा अपनी खोयी सीट को फिरसे हथियाने को लेकर सरल रास्ता खोजने मे जुटी है ।
दमदार प्रत्याशी की खोजबीन   दोनों ही पार्टी की पहली प्राथमिकत बनी हुई है समझा जा रहा है कि विधायक शैलेन्द्र पटेल का कांग्रेस से टिकट लगभग सुनिश्चित है वहीं अभी भाजपा मे टिकट को लेकर खींचतान की स्थिति बनी हुई है। पिछले चुनावों मे
जातिगत समीकरण के आधार पर इछावर सीट के नतीजे तय होते आए हैं। सिर्फ एक मर्तबा सन् 1977 मे इछावर विधानसभा सीट पर गैरखाती उम्मीदवार के रुप मे जनता पार्टी से नारायण प्रसाद गुप्ता चुनाव जीते थे इसके बाद सन् 2013 तक लगातार इछावर सीट पर खाती समाज का कब्जा रहा। खाती बाहुल्य क्षेत्र होने के कारण इछावर सीट पर यह समाज ही निर्णायक भूमिका मे रहा है ।
वेसे तो इस चुनाव मे खाती समाज को रिझाने के लिए दोनों ही पार्टी तरह-तरह के फंडों की आजमाईश करेंगी लेकिन यदि सामाजिक फेक्टर से अलग हटकर देखा जाए तो इछावर विधानसभा सीट पर युवाओं का जबरदस्त वर्चस्व है आँकड़े बताते हैं कि 1,97,471 मे से युवाओं के 1,10,077 वोट हैं यानि 56.19 प्रतिशत जबकि बुजुर्गों मतदाताओं की कुल संख्या 24,655 ही है यानि 12.46 प्रतिशत।

इन आंकड़ों से साफ जाहिर होता है कि इछावर सीट का फैसला युवाओं के ही हाथ मे हैं जिधर तरुणाई अंगड़ाई लेगी ऊँट उसी करवट बैठेगा।
अब बात टिकट के दावेदारों की करी जाए तो वर्तमान विधायक काँग्रेस के शैलेन्द्र पटेल,कृषि उपज मंडी अध्यक्ष भाजपा के शंकरलाल पटेल एंव भाजपा के ही डा अजय पटेल युवाओं की श्रेणी मे आते हैं जबकि पूर्व राजस्व मंत्री भाजपा के करणसिंह वर्मा की उम्र 60 वर्ष से अधिक है और वे बुजुर्गों की श्रेणी मे आते हैं। युवा मतदाताओं के रुझान से फैसला हुआ तो समझा जा सकता है कि भाजपा के लिए प्रत्याशी का चयन कितनी तेड़ी खीर साबित हो सकता है इस बार। 

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