पूर्व राजस्व मंत्री करणसिंह वर्मा का राजनीतिक भविष्य तय करने वाला होगा चुनाव परिणाम,

या तो चूमेंगे क्षितिज या चले जाएंगे नेपथ्य मे

पूर्व राजस्व मंत्री करणसिहं वर्मा: ईवीएम मे कैद राजनितिक भविष्य

राजेश शर्मा  

लोगों को 11 दिसंबर का बेसब्री से इंतज़ार है क्योंकि इस बार का चुनाव परिणाम जिन नेताओं का राजनितिक भविष्य तय करने वाला है उसमे पूर्व राजस्व मंत्री एंव भाजपा के प्रादेशिक नेता करणसिंह वर्मा का नाम भी शुमार है।

श्री वर्मा ने बतौर विधायक सन् 1985 मे भाजपा का इछावर मे जो ध्वज लहराया था वह आज भी उन्हीं के हाथों मे है उनकी गिनती मप्र के प्रभावशाली भाजपा नेताओं मे होती है। 

वर्मा अपने कार्यकाल मे मप्र के सबसे ज्यादा ईमानदार मंत्री कहे जाते थे। लेकिन लगातार 6 बार चुनाव जीतने के बाद वह कांग्रेस प्रत्याशी शैलेन्द्र पटेल से गत चुनाव मामूली अंतर से हार गए थे। वर्मा की हार को भाजपा आलाकमान ने भले ही तवज्जो न दी हो लेकिन इस चुनाव मे टिकट वितरण के समय उभरे उनके विरोधियों के तेज स्वर नए समीकरण को जन्म दे गए है।

करणसिंह वर्मा के गहरी राजनीतिक सोच की पहचान इसी से हो जाती है कि वह काफी हद तक इस चुनाव मे विरोध के स्वर दबाने मे कामयाब रहे और उन्होंने एक के बाद एक रुठे नेताओं को अपने ध्वज तले ला खड़ा किया।
वर्मा ने पूरी दमदारी से चुनाव भी लड़ा और पूरे राजनैतिक अनुभवों को झोंक दिया। 

 वर्मा कहते हैं कि हम चुनाव जीत रहे हैं वह अपनी जीत के प्रति आश्वस्त है लेकिन यदि चुनाव परिणाम इसके विपरीत रहा तो उनका राजनितिक भविष्य डगमगा सकता है क्योंकि उनके हिस्से मे न केवल लगातार दूसरी हार आएगी बल्कि उनके अंदरूनी विरोधी भी पनप जाएंगे और वह रिटायरमेंट के सरकारी उम्र को भी पार कर जाएंगे ऐसे मे भाजपा नए दौर के नए समीकरण की राह पकड़ेगी और भाजपा की दूसरी पंक्तियों के किसी नए नेता का उदय होगा और वर्मा का राजनैतिक कद घटकर रह जाएगा और यदि वे जीतते हैं तो बेशक उनकी गिनती प्रदेश भाजपा के थ्री स्टार नेताओं मे होने लगेगी।
इन सब सुरत-ए-हाल मे कहा जा सकता है कि इसबार का चुनाव परिणाम पूर्व राजस्व मंत्री करणसिंह वर्मा के राजनीतिक भविष्य को तय करने वाला साबित होगा। या तो वह क्षितिज चूमेंगे या नेपथ्य मे ही चले जाएंगे! 

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