मां,बच्चों का प्रथम विद्यालय-साध्वी मोनिका


इछावर/भाऊँखेड़ी
एमपी मीडिया पाइंट 

ध्रुव जी को मां ने ईश्वर भक्ति का ज्ञान दिया था मां ही बच्चे की प्रथम पाठशाला है और मां ही ईश्वर है उक्तोदगार साध्वी मोनिका देवी ने व्यक्त किए वह भाऊँखेड़ी ग्राम मे आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन प्रवचन दे रहीं थीं।
उन्होंने कहा कि अभिमान पतन का कारण बन जाता है
जीवन मे व्यक्ति को अभिमान नहीं करना चाहिए क्योंकि राजा दक्ष को प्रजापति का पद मिला जिससे राजा दक्ष को अभिमान आ गया।प्रजापति बनने के बाद  दक्ष ने भगवान शंकर का अपमान किया जीवन मे मनुष्य को भी पद प्रतिष्ठा मिलने पर अभिमान नहीं करना चाहिए और सदा दिन दुखियों की मदद करते रहना चाहिये और जब भी किसी ने अपने पद या प्रतिष्ठा पर अभिमान किया तब तब उसका सर्वनाश हुआ है रावण को भी अभिमान था उसका भी सर्वनाश हुआ।
महिलाओं को भी चाहिए कि वह अपने-आप को मां मानकर ही आचरण करे, अपने संबंधी व दूसरों के सांथ इसप्रकार व्यवहार करे कि वह उसके बेटे-बेटियां ही हैं। महिलाओं को किसी के सांथ भी दुर्व्यवहार नहीं करना चाहिए सबको समान रुप से देखना चाहिए इसीप्रकार अधिकारियों को भी अपने आधिनस्थ कर्मचारियों के प्रति सरल स्वभाव रखना चाहिए उसे कभी अपमानित नहीं करना चाहिए क्योंकि आपके पास अधिकार आने से पहले ही उनका छिनना तय हो जाता है। कथा के तीसरे दिन मंगलवार को प्रवचन स्थल पर श्रद्धालुओं की अच्छा-खासी भीड़ जमा थी।
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