भूलकर भी मदिरा का सेवन न करें- साध्वी मोनिका



इछावर/भाऊ़खेड़ी,
एमपी मीडिया पाइंट 

समुद्र मंथन से जो रत्न निकले थे उनमें एक रत्न के रूप में मदिरा भी निकली थी जिसका सेवन राक्षसों ने किया था और वे समूल नष्ट हो गए थे इसीलिए इस कलियुग मे भी जो मदिरा का सेवन कर रहे हैं वह राक्षस ही हैं और उनका मिटना सुनिश्चित है अत: व्यक्ति को चाहिए कि वह भूलकर भी मदिरा का सेवन ना करे उक्त बात साध्वी मोनिका देवी ने कही वह श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन भाऊँखेड़ी ग्राम के प्राचीन शिवालय मे प्रवचन दे रहीं थीं।
उन्होंने कहा कि मदिरा से हटकर भी आज के युग मे मनुष्य को सेवन करने के लिए अनेक पोस्टिक पदार्थ हैं उनका सेवन करना चाहिये नाकी मदिरा का, आज मदिरा से समाज का स्वरूप ही बिगड़ गया है इस मदिरा ने कई लोगो के घर बर्बाद कर दिए हैं।यमुना तट पर वारुणी मदिरा का सेवन यदुवंशियों ने किया था जो उनके पतन का कारण बनी इसीलिए व्यक्ति को हर परिस्थिति मे दुष्प्रभाव डालने वाली मदिरा का त्याग करना चाहिए और न ही उसे अपनाना चाहिए।
 उन्होंने कहा कि दान हमेशा अपने सामर्थ्य के अनुसार करना चाहिये अपने घर के द्वार पर जब भिखारी आये तो उसे खाली हाथ नहीं भेजना चाहिए। दान लेने से ज्यादा दान देने वाला ऋणीय होता है दान देते समय ईश्वर का आभार जरुर व्यक्त करना चाहिए क्योंकि उसी ने आपको दान देने योग्य बनाया है। दान देते समय दानवीर कर्ण का भी स्मरण जरुरी है क्योंकि दान देने के शोक ने ही उसे दानवीर की पदवी दिलाई। कर्ण जैसा दानवीर न पहले कभी हुआ न अागे कोई पैदा होगा। महान पराक्रमी योद्धा होने के बावजूद कर्ण को संसार मे पहचान दान ने ही दिलाई।कथा के चौथे दिन बुधवार को कृष्ण जन्मोत्सव बड़े धूम धाम से मनाया गया और उपस्थित भागवतभक्त खुशी से झूम उठे।
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