पटना :    इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स बिहार चैप्टर के प्रेसीडेन्ट एवं एनएमसीएच के पीडियाट्रिक विभाग के एचओडी डा. प्रो. बिनोद कुमार सिंह ने आज  एक्जिबिशन रोड स्थित होटल लेमन ट्री में आयोजित प्री-मैच्योर न्यू बोर्न चिल्ड्रेन में होनेवाली गंभीर बीमारी रेटिनोपैथी ऑफ प्री-मैच्योरिटी (आर.ओ.पी.) पर सीएमई के उद्घाटन के मौके पर कहा कि नवजात षिषु रोग विषेषज्ञों से अनुरोध है कि वे सभी नवजात शिशुओं का आरओपी स्क्रीनिंग 1 माह के उम्र पर अवष्य कराएं जिनका वजन 2 किलो से कम हो या 35 सप्ताह से कम उम्र में जन्म हुआ हो। साथ ही  उन्हीं बच्चों को ऑक्सीजन दिया जाय जिनका एसपीओ-टू 90 प्रतिशत से कम हो। चिकित्सकों को ध्यान देना चाहिए कि नवजात बच्चों का एसपीओ-टू 90 से 95 प्रतिषत के बीच रखा जाय। इससे अधिक एसपीओ-टू  होने पर आरओपी का खतरा समय से पहले जन्मे कमजोर बच्चों को बढ़ जाता है।

दृश्टिपुंज नेत्रालय के सौजन्य से आयोजित इस सीएमई के  गेस्ट फैकल्टी में डॉ पारिजात चन्द्रा, आरपी सेंटर एम्स नई दिल्ली में एडिषनल प्रोफेसर ने भी भाग लिया। डॉ चन्द्रा सीनियर पीडियाट्रिक रेटिना सर्जन और आरओपी सर्विसेज एम्स नई दिल्ली के इंचार्ज हैं। अन्य विषेशज्ञों में से एक डॉ आनंद विनेकर नारायणा  नेत्रालय बैंगलुरु के पीडियाट्रिक रेटिना डिपार्टमेंट के चीफ हैं। डॉ विनेकर को राश्ट्रीय और अंतर्राश्ट्रीय स्तर पर बच्चों की जन्मांधता की रोकथाम में योगदान के लिए जाना जाता है।

 

दृष्टिपुंज नेत्रालय के निदेशक डा.सत्यप्रकाश तिवारी ने बताया कि सीएमई में ए टू जेड आफ रेटिनोपैथी आफ प्री-मैच्युरिटी विषय पर व्यापक चर्चा हुई  जो इन दिनों प्रीमैच्योर बच्चों में आजीवन अंधता का आम कारण बन चुका है यदि उनका स्क्रीनिंग और इलाज समय पर नहीं हो पाये । उन्होंने कहा कि प्रदेश के दूरदराज के इलाके के शिशुरोग विषेशज्ञों के जरिए इस तरह का केस सामने आने पर दृश्टिपुंज नेत्रालय अपने प्रयास से आरओपी के इलाज में काफी हद तक सफल रहा है। इस सीएमई में गेस्ट फैकल्टी के अलावे प्रदेश के 100 से अधिक सीनियर पीडियाट्रिषियन और ऑप्थेलमाॉलॉजिस्ट ने भी भाग लिया। सीनियर पीडियाट्रिशियन में प्रो बीके सिंह, प्रो उत्पलकांत सिंह, प्रो एस ए कृश्णा, प्रो एके जायसवाल और सीनियर ऑप्थेलमाॉलॉजिस्ट डॉ सत्यप्रकाश तिवारी, डॉ. रणधीर झा, डॉ सुनील सिंह, डॉ सुभाश प्रसाद और कई अन्य भी डिस्कशन में भाग लिया। दृष्टिपुंज नेत्रालय के निदेशक एवं रेटिना विशेषज्ञ डा. सत्यप्रकाष तिवारी ने बताया कि इस सीएमई  से अपने प्रदेष के बच्चों के  आरओपी केयर में ज्यादा सहायता मिलेगी और उन्हें आजीवन अंधता से बचाया जा सकेगा।  साथ ही सीएमई आमलोगों में जागरुकता पैदा करने में मददगार और नवजात शिशुओं के इलाज में भी सहायक  होगा।

  

    



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