भागलपुर, : अंगिका भाषा की गिनती दुनिया की सबसे पुरानी भाषाओं में होती है। कथा- पुराणों में इस भाषा को आंगी नाम से पुकारा गया है। अंगिकाभाषी सत्ता परिवर्तन का दम-खम रखते हैं। इसलिए आज हम संकल्प लेते हैं कि लोकसभा चुनाव में हम वोट उसी को करेंगे, जो हमारी अंगिका भाषा के प्रति अपना नजरिया स्पष्ट करेगा। ये बातें आज अंग उत्थान आन्दोलन समिति, बिहार-झारखंड के केन्द्रीय अध्यक्ष गौतम सुमन ने पत्रकारों से कही।

उन्होंने कहा कि आज तलक अंगिका भाषा के समुचित सम्मान व अधिकार के नाम पर हुए संघर्षों व सरकार से लगाए गुहार के बावजूद अंग-अंगिका को केवल आश्वासनों के दम पर ठगने का कार्य हुआ है। उन्होंने बताया कि बिहार-झारखंड के 21 अंग जनपदों में 15 सांसद व 81 विधायक होने के बावजूद किसी ने अब तक अंग.अंगिका के समुचित सम्मान व अधिकार की दिशा में ठोस पहल करना मुनासिब नहीं समझा है और इसके लिए हम अंगिका भाषियों को सडक़ पर उतरकर आन्दोलन इस तरह करने पड़ रहे हैं जैसे हम सम्मान व अधिकार नहीं बल्कि सत्ता की भीख मांग रहे हों। उन्होंने स्कूल स्तर से कॉलेज स्तर के पाठ्यक्रमों में अंगिका भाषा को शामिल किये जानेएसभी सरकारी दफ्तरों में अंगिका भाषा को तरजीह देनेएरेलवे स्टेशनों से अंगिका भाषा में सूचना प्रसारण करने, अंग क्षेत्र के सभी पर्यटन स्थलों को बढ़ावा देकर अंग महाजनपद के बंद पड़े कल-कारखानों को चालू करने, स्कूल स्तर से लेकर कॉलेज स्तर तक अंगिका अध्यापकों की बहाली कर वहां अंगिका भवन बनाने एवं झारखंड की तरह बिहार में भी अंगिका भाषा को सम्मान देकर इसे अविलंब भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग करते हुए सभी पार्टी व दलीय लोगों से आग्रह किया कि वे अपने घोषणा पत्र में अंगिका भाषा के उत्थान को शामिल कर इसके प्रति अपना नजरिया स्पष्ट करें।


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