पटना  : शायरी के इल्मो-फन में माहिर हिंदी और उर्दू के मशहूर शायर जफर इकबाल एक ऐसे शायर हैं जिनकी गजले साफगोई में यकीन करती हैं। इनमें व्याकरण का भी कडा अनुशासन देखने को मिलता है। इनकी गजलों की पंक्तियां कभी भी बंदिशों की लक्ष्मण रेखा नहीं लांघती। बाल भर भी अपनी जगह से नहीं हिलती पर अपने विचारों से पढऩे-सुनने वालों को हिला के रख देती है।ये बातें बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में हिन्दी में प्रकाशित जफर के तीसरे गजल संग्रह चेहरा बोलता है, के लोकार्पण समारोह और कवि सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए सम्मेलन अध्यक्ष डा. अनिल सुलभ ने कही।  

पुस्तक का लोकार्पण करते हुए वरिष्ठ कथा-लेखक जियालाल आर्य ने कहा कि जफर साहेब का यह संग्रह हिन्दी साहित्य की समृद्धि में बड़ा योगदान देने में सक्षम है। शायर ने चेहरा बोलता है के माध्यम से यह बताने की कोशिश की है किएकोई भी लाख पर्दा करे, खुद को छुपा नहीं सकता। चेहरा खुद सब कुछ बता देता है। सम्मेलन के उपाध्यक्ष नृपेंद्र नाथ गुप्तए डा. शंकर प्रसाद और परवेज आलम ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

शायर शकील सासारामी, डा. मधुरेश नारायण, बच्चा ठाकुर, आचार्य आनंद किशोर शास्त्री, राज कुमार प्रेमी, जय प्रकाश पुजारी, शुभचंद्र सिन्हा, डा. विनय कुमार विष्णुपुरी, लता प्रासर, शमा कौसर शमा, मोईन गिरिडीहवी, कुमार अनुपम, राज कुमार प्रेमी, शुभचंद्र सिन्हा, डा. शमा नासमीन नाजां, नंदिनी प्रनय , सिद्धेश्वर, प्रभात धवन, श्वेता मिनी, उमा शंकर सिंह, सच्चिदानंद सिंह ने भी अपनी रचनाओं का पाठ किया। मंच का संचालन योगेन्द्र प्रसाद मिश्र ने तथा धन्यवाद ज्ञापन डा. नागेश्वर प्रसाद यादव ने किया।


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