पटना,  :रोजमर्रा की जीवन शैली में बदलावों के कारण किडनी यानि गुर्दा रोगों के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। एक अनुमान के अनुसार निम्न एवं मध्यम आय वर्गवाले देषों में इन रोगों के 188 मिलियन मामले मौजूद हैं। भारत में भी रोग के बारे में जागरुकता की कमी के कारण ये मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। चिंताजनक बात यह है कि पटना जैसे अद्र्धशहरी क्षेत्रों में भी बड़ी संख्या में लोग किडनी रोगों का शिकार हो रहे हैं। जीवनशैली इन रोगों का मुख्य कारण है और पुरुश इससे सबसे ज़्यादा प्रभावित हैं। खाने पीने की गलत आदतें, व्यायाम की कमी तथा धूम्रपान आदि का गुर्दों पर बुरा असर पड़ता है। आज के समय में यह नहीं कहा जा सकता कि उम्र बढऩे के साथ ही गुर्दा रोग होते हैं क्योंकि आज किशोर/ बच्चे भी गुर्दा रोगों से प्रभावित हो रहे हैं।

पटना में क्रोनिक किडनी रोगों की संख्या इतनी तेजी से बढ़ी है कि पूरा चिकित्सा समुदाय चिंतित है। मेरे पास रोज़ाना गुर्दा रोगों के लगभग 100 मरीज आते हैं, इनमें से ज़्यादातर पुरुश होते हैं। मधुमेह, मोटापा, उच्च रक्तचाप, पुरानी चोट आदि का असर गुर्दों की कार्यप्रणाली पर पड़ता है। स्कूल नियमित रूप से बच्चों की उंचाई, वजन जैसी जांचें करते हैं, आज के समय में ज़रूरी है कि स्कूली बच्चों में ब्लड प्रेषर आदि की जांच भी की जाए, ताकि अगर बच्चों को गुर्दा रोग या इस तरह की कोई बीमारी हो तो वह समय पर पकड में आ सके। ये बातें नेफ्रोलॉजी के एचओडी पंकज हंस ने रूबन मेमोरियल अस्पताल में कही।

उन्होंने बताया कि मधुमेह ऐसी बीमारी है जिस पर जल्द से जल्द ध्यान देना चाहिए। अंतिम अवस्था के गुर्दा रेाग के लिए गुर्दा प्रत्यारोपण ही सबसे अच्छा विकल्प होता है। विभिन्न अवस्थाओं वाले सीकेडी के हर 3000 मरीजों में से 0.5 फीसदी मरीज़ों को गुर्दा प्रत्यारोपण की जरूरत होती है, लेकिन इन मामलों में अक्सर परिवार में डोनर नहीं मिल पाता, जो मरीज़ को गुर्दा दान में दे सके। ज़्यादातर राज्यों में मृत व्यक्ति से किडनी डोनेशन अभी भी प्रचलित नहीं है या अपनी शुरूआती अवस्था में है। भारत में गुर्दा प्रत्यारोपण के मामलों में ज़्यादातर मरीज पुरूष होते हैं और डोनर महिलाएं होते हैं। डॉक्टर से बताया।

सीकेडी के प्रभावों और मामलों को कम करने के लिए कई कारक महत्वपूर्ण हैं जैसे प्रोटीन का सेवन जरूरत से ज़्यादा मात्रा में न करें, उचितमात्रा मेंपानीपीएं, देसीदवाओं के सेवन से बचें, डायबिटीज परनियंत्रण रखें, उच्च रक्तचाप पर नियंत्रण रखें, धूम्रपान न करें और डॉक्टर की सलाह के बिना दवाएं लेने से बचें।

किडनी यानि गुर्दे मनुश्य के शरीर का महत्वपूर्ण अंग हैं जो खून को छानकर इसमें से व्यर्थ पदार्थों को अलग करते हैं, शरीर में तरल एवं इलेक्ट्रोलाईट का संतुलन बनाए रखते हैं। अगर गुर्दें अपना काम ठीक से न करें तो इसका असर पूरे शरीर पर पड़ता है। डायबिटीज, आज गुर्दा रोगों का मुख्य कारण है, जो देश की एक बड़ी आबादी को प्रभावित कर रहा है। डायबिटीज के कारण गुर्दों को पहुचंने वाला नुकसान समय केे साथ बढ़ता चला जाता है। इस नुकसान को कम करने के लिए कोशिश की जा सकती है। अगर गुर्दे अपनी सामान्य अवस्था से 15 फीसदी से भी कम काम करने लगें तो इसे किडनी फेलियर कहा जाता है।

हालांकि ऐसा जरूरी नहीं कि डायबिटीज़ के सभी मरीज गुर्दा रोगों का शिकार हो जाएं। कई अन्य कारक भी हैं जो गुर्दों में संक्रमण का कारण हो सकते हैं जैसे आनुवंशिकी, खून में ग्लुकोज का नियन्त्रण और रक्तचाप। जितना आप डायबिटीज और रक्तचाप पर नियंत्रण रखेंगे उतना ही गुर्दा रोगों की संभावना कम होगी। इस संदर्भ में रोग के बारे में जागरुकता होना जरूरी है ताकि समय पर रोग की पहचान कर इलाज शुरू किया जा सके और गुर्दों को खराब होने से बचाया जा सके।


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