भागलपुर, : 14 मार्च, 2019 से होलाष्टक लग रहा है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इन  दिनों किसी भी शुभ कार्य का आरम्भ नहीं किया जाता है। इस संबंध में अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त ज्योतिष योग शोध केन्द्र, बिहार के संस्थापक दैवज्ञ पं. आर. के. चौधरी, बाबा भागलपुर, भविष्यवेत्ता एवं हस्तरेखा विशेषज्ञ ने शास्त्रानुसार बतलाया कि 14 मार्च से होलाष्टक प्रारंभ हो रहा है जो 20 मार्च 2019 यानि होलिका दहन तक रहेगा। होलाष्टकों में किसी भी प्रकार का मांगलिक कार्य करना निषेध माना  गया है। होलाष्टक समाप्त होने के बाद भी ज्योतिषीय दृष्टि से भद्रा की छाया रहेगी। साथ ही चैत कृष्ण पक्ष भी प्रारंभ हो जाएगा। परिणाम स्वरूप विवाहों के शुद्ध मुहूर्त पर विराम स्वत: लग जाएगा। ज्योतिष शास्त्र प्रत्येक कार्य के लिए शुभ मुहूर्तों का शोधन कर उसे करने के लिए मार्गदर्शन करती है। कोई भी कार्य यदि शुभ मुहूर्त में किया जाता है तो वह उत्तम फल प्रदान करने वाला होता है।

इसी परिप्रेक्ष्य में हमारे देश भरत भूमि पर प्रत्येक कार्य को मुहूर्तानुसार करने की परम्परा आदिकाल से चलती आ रही है। चैत शुक्ल प्रतिपदा के साथ ही हिन्दू नववर्ष का शुभागमन होता है। जो कि इस वर्ष 6 अप्रैल 2019 को है। यानी चैती नवरात्रा की शुरुआत भी इसी दिन से होती है। जिस प्रकार सूर्य और चंद्र ग्रहण में गर्भवती स्त्रियों को घर से बाहर निकलने की मनाही रहती है। उसी प्रकार होलाष्टक में भी गर्भवती स्त्रियों को नदी नाले पार करने की मनाही रहती है तथा सभी शुभ कार्य वर्जित रहते हैं।

इस प्रकार होलाष्टक को ज्योतिष की दृष्टि में अशुभ तथा दोषपूर्ण  माना गया है। जिसमें विवाह, गर्भाधान, गृह प्रवेश, निर्माण,  नामकरण, मुण्डन, विद्यारम्भ, व गृह शान्ति, हवन यज्ञ कर्म आदि शुभ कार्य करना वर्जित है। होलाष्टक के दिनों में किए गए कार्यों से दुखद परिणाम व  अनेक पीड़ाओं की उत्पत्ति होने की आशंका रहती है। यथा- संबंध विच्छेद, कलह आदि के शिकार होने के आसार, शारीरिक  कष्ट, यही नहीं अकाल मृत्यु तक की भी सम्भवाना रहती है। इसको इस बात से भी समझा जा सकता है कि होलाष्टक के समाप्त होते ही आमजन अपनी खुशियों का इजहार करने लगते हैं और होली के रंग में सराबोर हो जाते हैं।


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