सरकार से किसानों की अब तक पांच दौर की वार्ता हो चुकी है जो विफल रही है। किसानों के संगठनों की एक बार केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ भी बैठक हो चुकी है, लेकिन उसका नतीजा भी शून्य रहा है। अग्रवाल ने कहा कि सरकार नयी दिल्ली के विज्ञान भवन में अगली बैठक बुलाना चाहती है ताकि प्रदर्शन जल्द से जल्द समाप्त हों। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार किसानों द्वारा उठाए गए सभी मुद्दों के समाधान के लिए खुले मन से हरसंभव प्रयास कर रही है। अग्रवाल ने कहा कि नौ दिसंबर को भेजे गए मसौदा प्रस्ताव में सरकार ने कम से कम सात मुद्दों पर आवश्यक संशोधन करने का प्रस्ताव दिया है जिसमें वर्तमान एमएसपी को जारी रखने के बारे में ‘लिखित आश्वासन’ की बात भी शामिल है। लेकिन संगठनों ने वह प्रस्ताव खारिज कर दिया था। इसकी जानकारी क्रांतिकारी किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष दर्शन पाल ने 16 दिसंबर को ईमेल के जरिए दी। हालिया पत्र पाल को भी भेजा गया है। इसमें अग्रवाल ने कहा कि किसान संगठनों द्वारा सरकार के मसौदा प्रस्ताव पर दिया गया जवाब ‘बहुत ही संक्षिप्त’ था।
पत्र में कहा गया कि जवाब में मसौदा प्रस्ताव खारिज करने की कोई विशेष वजह नहीं बताई गई है तथा ‘‘यह स्पष्ट नहीं है कि उक्त विचार आपके (पाल) के थे या फिर सभी संगठनों के।’’ यह पत्र ऐसे दिन लिखा गया है जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कोलकाता में कहा कि केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर एक या दो दिन में प्रदर्शनकारी समूहों से उनकी मांगों पर बातचीत कर सकते हैं। गौरतलब है कि नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर हजारों किसान डटे हुए हैं। केन्द्र सरकार सितम्बर में पारित तीन नए कृषि कानूनों को कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर पेश कर रही है, वहीं प्रदर्शन कर रहे किसानों ने आशंका जताई है कि नए कानूनों से एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) और मंडी व्यवस्था खत्म हो जाएगी और वे बड़े कॉरपोरेट पर निर्भर हो जाएंगे।
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