नई दिल्ली। एमसीडी चुनाव के नतीजे आ गए हैं। अब सदन की जो भी पहली बैठक होगी, उसी में महापौर व उपमहापौर का चुनाव कराया जाएगा। पहली महापौर महिला पार्षद चुनकर आईं सदस्यों में से ही होगा, क्योंकि हर साल महापौर व उपमहापौर पद पर चुनाव का यह प्रविधान निगम के एक्ट में ही है। इसमें पहले वर्ष महिला पार्षद को यह अवसर मिलता है, जबकि तीसरे वर्ष में अनुसूचित जाति से चुनकर आए पार्षद के लिए यह पद आरक्षित होता है।

इन्हें भी होता है वोटिंग का अधिकार

अब देखना होगा कि बहुमत लेकर आई आम आदमी पार्टी (आप) के सामने कोई विपक्षी प्रत्याशी नामांकन करता है या नहीं। अगर, विपक्ष से किसी का नामांकन हुआ तो स्पष्ट बहुमत के बावजूद आप का गेम प्लान गड़बड़ा सकता है और महापौर पद जीतने का उसका सपना खटाई में पड़ सकता है।

दरअसल, निगम में महापौर सीधे तौर पर पार्षद ही चुनते हैं, लेकिन सदन के सदस्य लोकसभा के सांसद के साथ राज्यसभा के सदस्य और दिल्ली विधानसभा के 13 सदस्य होते हैं। इन्हें भी महापौर व उपमहापौर पद पर वोटिंग का अधिकार होता है। ऐसे में कई बार इन समीकरणों से स्पष्ट बहुमत होने के बावजूद राजनीतिक दलों के समीकरण बिगड़ जाते हैं। वर्ष 2014-15 में भाजपा उपमहापौर पद हार चुकी है।

अब आगे यह होगा

दिल्ली नगर निगम राज्य चुनाव आयोग जीते हुए सदस्यों की अधिसूचना जारी कर निगम को भेजेगा। इसके बाद इस अधिसूचना के आधार पर निगम सदन बुलाने की अनुमति उपराज्यपाल से मांगेगा जिसमें सदन बुलाने की तिथि से लेकर नव निर्वाचित सदस्यों के शपथ ग्रहण के लिए पीठासीन अधिकारी नियुक्त करते हैं। यह पीठासीन अधिकारी अधिकांशत: चुने गए सदस्यों में से वरिष्ठ सदस्य होता है।



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