क्या CM शिंदे के अधिकार में की दखलअंदाजी? अपने इस कदम से फिर चर्चा में आए अजित पवार

 महाराष्ट्र की राजनीति लगातार सुर्खियों में बनी हुई है. चर्चा तब और होने लगी है जब से अजित पवार महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे की सरकार में शामिल हुए हैं. चाहे अपने चाचा शरद पवार से मुलाकात हो या फिर एनसीपी पर दावा हो, अपने फैसलों की वजह से अजित पवार लगातार सुर्खियों में बने हुए हैं. इस बीच गुरुवार (10 अगस्त) को अजित पवार ने ऐसा कदम उठा लिया, जिसके बाद एक बार फिर विपक्ष को सरकार पर निशाना साधने का मौका मिल गया है. 

दरअसल, गुरुवार को डिप्टी सीएम अजित पवार ने एक प्रोजोक्ट मैनेजमेंट यूनिट की स्थापना की और कई प्रोजेक्ट पर मीटिंग ली. एबीपी माझा के मुताबिक, इस मीटिंग में सरकार के सभी सीनियर अधिकारी मौजूद रहे. खास बात ये रही कि इस बैठक में मुख्यमंत्री के वॉर रूम सर्वेक्षक राधेश्याम मोपलावर भी मौजूद थे और अजित पवार ने राज्य में महत्वपूर्ण परियोजनाओं की समीक्षा की. मंत्रालय के सांतवे फ्लोर पर ये बैठक हुई. इस बैठक के बाद मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के सामने यह सवाल खड़ा हो गया है कि राज्य में परियोजनाओं की प्रोगेस की निगरानी वास्तव में कौन करता है? अजित पवार ने जो मैनेजमेंट यूनिट शुरू किया है वो मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अध्यक्षता में शुरू की गई वार रूम के ठीक बगल में है. विपक्ष ने पूछा कि क्या इस वॉर रूम से सरकार में शीत युद्ध शुरू हो चुका है?

इस वॉर रूम के जरिए मुख्यमंत्री पुणे में समृद्धि हाईवे, रिंग रोड या एयरपोर्ट के काम जैसी पचास से ज्यादा परियोजनाओं की समीक्षा कर चुके हैं. महाविकास अघाड़ी की सरकार के दौरान मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने इसका नाम बदलकर संकल्प चैंबर कर दिया था. सत्ता बदलने के बाद एक बार फिर वॉररूम नाम बरकरार रखा गया है. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने इसी वॉर रूम से कुछ परियोजना समीक्षा बैठकें भी की थीं. लेकिन विपक्ष ने सवाल पूछना शुरू कर दिया है कि क्या इस वॉर रूम से सरकार में शीत युद्ध शुरू हो गया है. ऐसे में ये सवाल उठने लगा है कि क्या अजित पवार ने मुख्यमंत्री के अधिकार में दखलअंदाजी की है?



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