मराठा आरक्षण के मुद्दे पर महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे के आश्वसन के बाद पंकजा मुंडे का बड़ा बयान सामने आया है. उन्होंने कहा, 'बयान देकर मराठा आरक्षण नहीं दिया जा सकता.'



 मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर हमला बोलते हुए बीजेपी की राष्ट्रीय सचिव पंकजा मुंडे ने गुरुवार को कहा, बयान देकर मराठा आरक्षण नहीं दिया जा सकता. उन्होंने कहा, इसे कानूनी और संवैधानिक परीक्षण का सामना करना होगा. साथ ही शिवशक्ति यात्रा के तहत महत्वपूर्ण मंदिरों के दर्शन के लिए जिलों की यात्रा करने वाली (दस दिवसीय तीर्थयात्रा) पंकजा मुंडे ने गुरुवार को कोल्हापुर में मीडिया से बात की.

बुधवार को सीएम एकनाथ शिंदे ने कहा था, 'कैबिनेट ने मराठवाड़ा क्षेत्र के उन मराठों को कुनबी जाति प्रमाण पत्र जारी करने का फैसला किया है, जिनके पास निजाम युग के राजस्व या शिक्षा दस्तावेज हैं. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, 'आरक्षण विवाद पर एक सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा, ''मराठा आरक्षण जैसे जटिल मुद्दे को बयानों के जरिए हल नहीं किया जा सकता है. आगे उन्होंने कहा, ''मैं लगातार कहती रही हूं कि मराठों को आरक्षण मिलना चाहिए. ऐसा करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया जाना चाहिए. मराठा संगठनों को विश्वास में लिया जाना चाहिए और इस प्रक्रिया में पर्याप्त रूप से परामर्श किया जाना चाहिए.

सीएम शिंदे ने क्या कहा?
शिंदे ने कहा कि कुनबी को राज्य में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के तहत वर्गीकृत किया गया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि मराठवाड़ा में मराठा समुदाय से जुड़े जिन लोगों के निजाम युग के राजस्व और शिक्षा के दस्तावेजों में कुनबी होने का जिक्र किया गया है, उन्हें कुनबी प्रमाण पत्र मिलेगा. मराठवाड़ा क्षेत्र महाराष्ट्र का हिस्सा बनने से पहले पूर्ववर्ती हैदराबाद साम्राज्य का हिस्सा था.

वहीं शिंदे ने कहा, न्यायाधीश संदीप शिंदे (सेवानिवृत्त) की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय समिति निजाम युग के दस्तावेजों में कुनबी कहे जाने वाले मराठा समुदाय के सदस्यों को जाति प्रमाण पत्र देने के लिए कानूनी और प्रशासनिक ढांचे सहित मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) का निर्धारण करेगी. समिति एक महीने में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी.

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