मध्य मुंबई के लालबाग इलाके में 'वेले ब्रदर्स' के नाम से अपनी दुकान चलाने वाले राहुल वेले पिछले तीन वर्षों से विशेष रूप से पर्यावरण-अनुकूल मूर्तियां बना रहे हैं.





 मुंबई  में इस त्योहारी मौसम में सभी की पर्यावरण-अनुकूल उत्सव मनाने की योजना है क्योंकि यहां अधिक से अधिक लोग ऊंची कीमतों के बावजूद पर्यावरण-अनुकूल भगवान गणेश की मूर्तियां खरीदने की इच्छा जता रहे हैं. शहर में लोग 19 सितंबर से शुरू होने वाले 10 दिवसीय गणपति उत्सव मनाने की तैयारी में जुटे हैं. बाजार मूर्तियों और सजावट के समानों से भर गए हैं. इस वर्ष पर्यावरण-अनुकूल भगवान गणेश की मूर्ति की धूम मची है क्योंकि लोग प्लास्टर ऑफ पेरिस (पीओपी) से बनी मूर्तियों के दुष्प्रभावों के बारे में अधिक जागरुक हो गए हैं.

मध्य मुंबई के लालबाग इलाके में 'वेले ब्रदर्स' के नाम से अपनी दुकान चलाने वाले राहुल वेले पिछले तीन वर्षों से विशेष रूप से पर्यावरण-अनुकूल मूर्तियां बना रहे हैं. वेले (23) ने कहा, ‘‘ मुझे बचपन में भी गणपति की मूर्तियां बनाना बहुत पसंद था. मैंने अपनी खुद की दुकान शुरू की है जहां मैं पर्यावरण के अनुकूल मूर्तियां बनाता हूं खासकर मिट्टी की और ऐसा ही लोग चाहते हैं.''उन्होंने बताया कि लोगों में मिट्टी की मूर्तियों के फायदों के बारे में जागरुकता बढ़ी है. विसर्जित करने पर ये मूर्तियां पानी में पूरी तरह घुल जाती हैं और पर्यावरण के लिए हानिकारक नहीं होती हैं.

मूर्ति की कीमत लगभग 6,000 रुपये
वेले ने बताया कि पर्यावरण-अनुकूल एक फुट की मूर्ति की कीमत लगभग 6,000 रुपये है जबकि पोओपी से बनी इसी तरह की मूर्ति 3000-4000 रुपये में आ जाती है. कीमत में अंतर के बावजूद, लोग पर्यावरण-अनुकूल मूर्ति के लिए अधिक भुगतान करने के लिए तैयार हैं. ग्राहक पंकज मोहने ने कहा,'' हम 'बप्पा' को 11 वर्षों से घर ला रहे हैं और हमारा एक ही नियम है कि मूर्ति पर्यावरण अनुकूल हो. हमारी पर्यावरण के संरक्षण और रक्षा करने की जिम्मेदारी है इसलिए हम मिट्टी से बनी मूर्ति को प्राथमिकता देते हैं.'' हर वर्ष नगर निगम के अधिकारी त्योहार के दौरान जल निकायों के प्रदूषण को रोकने के लिए उपाय करते हैं.

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