महाराष्ट्र के ठाणे जिले की एक अदालत ने रिश्ते की बहन और उसके पति की हत्या के मामले में दोषी पाए गए एक व्यक्ति को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. यह झूठी शान के लिए की गयी हत्या का मामला था और घटना के समय पीड़िता गर्भवती थी. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश डी. एस. देशमुख ने इस मामले में आरोपी शफीक शम्सुद्दीन मंसूरी (36) को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) और अन्य प्रासंगिक प्रावधानों के तहत दोषी करार दिया.

कोर्ट ने सुनाई आजीवन कारावास की सजा

अदालत ने मंसूरी को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई और उस पर 1.10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया. अतिरिक्त लोक अभियोजक संध्या म्हात्रे ने कहा कि मंसूरी के खिलाफ आरोप साबित करने के लिए अभियोजन पक्ष की ओर से 12 गवाहों ने गवाही दी. उन्होंने बताया कि विजयशंकर यादव (30) और उसकी पत्नी प्रिया (22) ठाणे के शिल-फाटा इलाके में रहते थे.

प्रिया एक मुस्लिम परिवार से ताल्लुक रखती थी. हत्या के समय वह नौ महीने की गर्भवती थी. म्हात्रो ने बताया कि दंपति मूल रूप से उत्तर प्रदेश का रहने वाला था और भाग कर ठाणे में रहने चला आया था.  वकील के मुताबिक प्रिया के परिवार को मंसूरी पर संदेह था कि उसने दोनों को भागकर शादी करने में मदद की, इस कारण वह काफी परेशान था. 

उन्होंने कहा, मंसूरी दंपति के साथ रहने आया और उन दोनों की हत्या करने से पहले विजयशंकर को खूब शराब पिलाई. यह घटना 15 सितंबर 2016 को उस समय सामने आई जब पड़ोसियों ने पुलिस को दंपति के घर से दुर्गंध आने की सूचना दी, जिसके बाद उनके क्षत-विक्षत शव मिले.

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