करणसिंह वर्मा
                      शंकरलाल पटेल

                      राधेश्याम कबाड़ी अजय पटेल

टिकट को लेकर भाजपा मे घमासान जारी .

राजेश शर्मा इछावर एमपी

चुनावी चौसर जम चुकी है इछावर विधानसभा मे नेताओं  एंव पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा खपरैलें बदलने का सिलसिला लगभग थम चुका है अब इंतजार है 28 नवम्बर को होने वाली अंदरुनी बारिश का जो कईयों के राजनितिक जीवन को बाड़ मे बहा ले जाने वाली तो कईयों के लिए बहती गंगा भी साबित हो सकती है। 11 दिसम्बर वह तारीख होगी जो एक को छौड़ सभी का भ्रम तौड़ देगी। अब सवाल उठता है कि वह एक कौन है!!

हर नेता अपने आप को  "वही एक" मानकर अपनी अपनी पार्टी से टिकट को लेकर दावेदारी जता रहा है। अगर कांग्रेस की बात की जाए तो वर्तमान विधायक शैलेन्द्र पटेल को पार्टी "पास" कर चुकी है और वे अगली कक्षा मे पहुंच  फाइनल एग्जाम की तैयारी मे जुट चुके हैं जो इछावर  विधानसभा के 269 मतदान केन्द्रों पर 28 नवम्बर को आयोजित होने वाला है 

 लेकिन ठीक इसके विपरीत भाजपा मे तो दावेदारों को आरंभिक प्रत्याशी परीक्षा के ही दौर से गुजरना पड़ रहा है। जो उनके लिए आगे जाकर दुखदायी साबित होने वाला है।

वर्तमान परिदृश्य मे भाजपा की स्थिति अंतर्कलह और संगठन मे कमी के कारण मरणासन्न मरीज की तरह हो गई है पार्टी से पूर्व राजस्वमंत्री एंव पिछले पराजित प्रत्याशी करणसिंह वर्मा, दो बार के अपराजित कृषि उपज मंडी अध्यक्ष शंकरलाल पटेल,पार्टी मे कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे राधेश्याम कबाड़ी एंव अभी-अभी पार्टी मे पदार्पण करने वाले भाजपा नेता डा अजय पटेल अपनी उम्मीदवारी जता रहे हैं। इनमे से राधेश्याम कबाड़ी एक मात्र वह नेता है जिनकी जन्म एंव कर्मभूमि इछावर है शेष सभी आसपास के गाँव से आते हैं।

शंकरलाल पटेल अमलाह से,करणसिंह वर्मा जमोनियाहटेसिंह से, तो डा अजय पटेल सीहोर तहसील के ग्राम मोगराराम से आते हैं।राधेश्याम कबाड़ी की तरकश मे स्थानीयता का वो तीर है जिसे चलाने से वह नहीं चूक रहे हैं साँथ ही विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का नैकिट्य एंव आशीर्वाद को भी वे अतिरिक्त बल के रुप मे इस्तेमाल करते नजर आ रहे हैं। करणसिंह वर्मा 6 बार की अपनी विजयों से पिछली पराजय के दाग को धोकर आगे निकलने की फिराक मे हैं वहीं शंकरलाल पटेल मंडी चुनाव मे लगातार दो बार हाँसिल जीत एंव मतदाताओं मे बेदाग छवि  को अपना हथियार बनाते दंड पेले हुए हैं। दूसरी तरफ डा अजय पटेल अपनी सर्वाधिक शैक्षिक योग्यता एंव सीएम शिवराज से निकटता के भरोसे बनेटी घुमा रहे हैं। वैसे तो कुछ ओर नेताओं ने भी भाजपा से टिकट के लिए दावेदारी जताई है लेकिन उनकी यह दावेदारी बौने कद का बांस डालकर कुएं की गहराई नापने जैसी ही है।

पिछले तीन दशकों मे पहली बार भाजपा मे टिकट के लिए जो घमासान दिखाई दे रहा है। उसके पीछे मूल कारण यही बताया जा रहा है कि पिछले विधानसभा चुनाव मे पूर्व राजस्व मंत्री करणसिंह वर्मा उस वक्त चुनाव हार गए थे जब समूचे प्रदेश मे भाजपा का डंका बजा था और कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया था  इसबार वे 60 की उम्र को पार कर गए हैं इन्हीं दो वजहों ने भाजपा से टिकटार्थियों की संख्या बड़ा दी है। यदि इस बार करणसिंह वर्मा को फिर भाजपा से टिकट मिलता है तो यह उन्हें हाकी मे अंतिम समय मिलने वाले किसी पेनाल्टी कार्नर से कम नहीं।   वर्तमान विधायक शैलेन्द्र पटेल को कांग्रेस के अघोषित उम्मीदवार के रुप मे देखा जा रहा है। इछावर खाती बाहुल्य क्षेत्र है इसीलिए दोनों पार्टी खाती समाज के ही उम्मीदवार को मैदान मे उतारेगी और सबसे बड़ी बात यह है कि खाती समाज से अलग हटकर दूसरे नेताओं की दावेदारी मे कोई दम भी दिखाई नहीं दे रहा।

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