पटना, (रिर्पोटर) : हम  के नेता एवं पूर्व मंत्री डा. महाचन्द्र प्रसाद सिंह ने मुख्यमंत्री के भाषण मांझी मेरे नहीं हो सकते तो किसी के नहीं हो सकते की भावना से खुद को जोड़ते हुए कहा है कि नीतीश कुमार ने भावनात्मक रूप से आजादी के बाद पहली बार एक महादलित को अपनी मुख्यमंत्री कुर्सी छोड़ कर उसको बैठाया। जब मांझी जी की कुर्सी जाने लगी हम 9 मंत्रियों ने अपने मंत्री पद को लात मार कर जीतन राम मांझी का साथ दिया। लेकिन नीतीश कुमार के साथ-साथ हम 9 मंत्रियों को भी श्री मांझी से धोखा ही हाथ लगा।

उन्होंने कहा कि मांझी जी को जब मुख्यमंत्री पद से हटाया गया मैंने अपना तन, मन, धन जीतन मांझी जी को दलित नेता के रूप में पहचान दिलाने एवं हम-से. पार्टी को खड़ा करने में लगा दिया। मैंने अंतदृअंत तक कोशिश किया पार्टी को मजबूती के साथ खड़ा करू लेकिन मांझी जी के व्यक्तिगत स्वार्थ एवं पारिवारिक मोह के कारण लगातार कार्यकर्ताओं एवं नेताओं की उपेक्षा होती रही। जिसके कारण एकदृएक करके कार्यकर्ताएवं नेता पार्टी से दुर हो गए। अतंत: मैं भी मांझी के स्वार्थ का शिकार हुआ। हम-से. पार्टी बाप-बेटे की पार्टी बन का कर रह गई है, जिसका राज्य में कोई अस्तित्व नहीं है। मांझी न तो पार्टी के हो सके न जात के और ना ही जमात के। राज्य में मुसहर जाति में 81 प्रतिशत लोग बेघर हैं, 8 प्रतिशत घरों में शौचालय नहीं है, 78 प्रतिशत लोग अशिक्षित हैं, मात्र 3 प्रतिशत लोग स्नातक है। वैसे समाज के नेता श्री मांझी को बड़ी उमीद से नितीश कुमार ने मुख्यमंत्री बनाया और हम 9 मंत्रियों ने अंत तक जीतन मांझी का साथ दिया लेकिन मांझी अपने स्वार्थ और अपने परिवार से ऊपर कभी उठ नहीं पाए। श्री मांझी बेहद ही संकीर्ण सोच के व्यक्ति है और उनमे नेतृत्व करने की क्षमता नहीं है।

श्री मांझी दलित, महादलित का संरक्षण नहीं कर सकते चुकी वो अपने स्वार्थ और परिवार से ऊपर की सोच नहीं रखते। दलित महादलित समाज को नए सिरे से अपना नेता खोजना होगा जो निस्वार्थ भाव से दलितों के हित की लड़ाई लड़ सके। डा. सिंह ने पूर्ण विश्वास के साथ कहा कि कुछ एक कार्यकर्ता जो अभी भी मांझी जी के साथ जुड़े है अंतत: उनको भी धोखा ही हाथ लगेगा।


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