सरकार ने कुछ बिंदुओं (किसानों को कोर्ट जाने का अधिकार, प्राइवेट प्लेयर्स का पंजीकरण, प्राइवेट प्लेयर्स पर टैक्स से जुड़ा मसला) पर कानून संशोधन करने पर रजामंदी दिखाई है. सरकार ने लगातार इस पर जोर दिया कि बिल में जो संशोधन चाहिए वो किए जा सकते हैं.
कृषि कानूनों की शब्दावली में भी समस्या
वहीं, किसान नेताओं ने कहा कि अगर कानून में संशोधन होता है तो उसकी रूपरेखा बदल जाएगी. यह स्टेकहोल्डर को गलत तरीके से प्रभावित कर सकता है. वहीं, जिस कानून में इतने संशोधन की जरूरत हो, फिर उसका औचित्य क्या रह जाता है? कृषि कानूनों की शब्दावली में भी समस्या है, उसको कहा तक ठीक करेंगे. ऐसे में इस कानून को रद्द करने के अलावा कोई उपाय नहीं है.
बैठक के अंत में अमित शाह तमाम किसान नेताओं से मिलने आए और उनसे एक बार फिर मसले पर विचार विमर्श करने को कहा. उन्होंने आश्वासन दिया कि सरकार अपनी तरफ से जो भी बदलाव कर सकती है, वो लिखित तौर पर गुरुवार सुबह 11 बजे तक उनको भेज दिया जाएगा.
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