देश की आर्थिक राजधानी मुंबई की पहचान सपनों की नगरी के तौर पर होती है. इसकी चकाचौंध, ऊंची-ऊंची इमारतें यहां आने वालों को सहज ही अपनी तरफ आकर्षित करती हैं, लेकिन यहां एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती 'धारावी' भी है.

यहां की छोटी- छोटी झुग्गियों में 60 हजार से ज्यादा कुनबे बसते हैं, संकरी गलियों में कई फैक्ट्रियां भी चलती हैं. इंसानी जिंदगी की असली जद्दोजहद का मुकाबला देखना हो तो इसके लिए इस बस्ती से बेहतरीन जगह नहीं है. महज दो जून की रोटी के जुगाड़ में बुनियादी सुविधाओं को दरकिनार करना कोई यहां के लोगों से सीखे. लेकिन धारावी को लेकर एक बड़ा फैसला हुआ है. 

पीटीआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक 29 नवंबर को महाराष्ट्र सरकार ने धारावी के रिडवलेपमेंट के लिए बिड्स लगाई गई थी उसमें अडानी ग्रुप ने सबसे ऊंची बोली लगाकर इसे अपने नाम कर लिया है. इस प्रोजेक्ट के लिए अडानी ग्रुप ने 5,069 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी जबकि इसमें 2 अन्य ग्रुप भी शामिल हुए थे जिसमें नमन ग्रुप क्वालीफाई नहीं कर पाया और डीएलएफ लिमिटेड की तरफ से इस प्रोजेक्ट के लिए 2,025 करोड़ रुपये की बोली लगाई गई थी. 

धारावी पुनर्विकास परियोजना के सीईओ एसवीआर श्रीनिवास के मुताबिक अडानी ग्रुप ने इस प्रोजेक्ट के लिए डीएलएफ लिमिटेड से दोगुनी बोली लगाई थी. जिसके बाद इसके रिडेवलपमेंट का काम अडानी ग्रुप करेगा, लेकिन इससे पहले इसका पूरा ब्यौरा महाराष्ट्र सरकार को भेजा जाएगा. महाराष्ट्र सरकार की मंजूरी के बाद काम शुरू कर दिया जाएगा. 

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