कुछ दिन पहले शरद पवार ने पीएम मोदी के साथ मंच शेयर किया था. इसके बाद उन्हें विरोध का भी सामना करना पड़ा. इस मुलाकात पर अब जितेंद्र आव्हाड का बयान सामने आया है.

जुलाई में एनसीपी में विभाजन हो गया था. जब शरद पवार सत्ता में थे तो अजित पवार ने सीधे तौर पर उनकी आलोचना की थी. अजित पवार ने स्टैंड लिया कि शरद पवार को अब रिटायर हो जाना चाहिए. 5 जुलाई को मुंबई में अजित पवार के भाषण को महाराष्ट्र अभी भी नहीं भूला है. इसके बाद शरद पवार ने भी भाषण दिया. एक बैठक भी की. इन सबके बाद एनसीपी के दोनों गुटों की ओर से एक-दूसरे की ज्यादा सार्वजनिक आलोचना नहीं की गई.

अजित पवार की शरद पवार से मुलाकात
सत्र शुरू होने से पहले अजित पवार ने विधायकों के साथ शरद पवार से मुलाकात की. जब यह सब राजनीति चल रही थी, तब शरद पवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोकमान्य तिलक राष्ट्रीय पुरस्कार समारोह में देखा गया था. वहां उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पीठ भी थपथपाई. इसके चलते शिवसेना, ठाकरे गुट और कांग्रेस ने भी आलोचना की. लेकिन शरद पवार उस मंच पर क्यों थे? इसका जवाब अब जितेंद्र आव्हाड ने दिया है.

जितेंद्र आव्हाड ने क्या कहा?
उन्होंने कहा, “शरद पवार के व्यक्तित्व के कुछ खास पहलू हैं. वे वैचारिक विरोध सदैव जारी रखेंगे. लेकिन व्यक्तिगत नफरत कभी नहीं चलेगी. जब वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ कार्यक्रम में उपस्थित हुए, तो मुझे लगता है कि उन्होंने फैसला किया कि हम लोकमान्य तिलक के बारे में बात करना चाहते हैं, जो कांग्रेस संस्कृति में पले-बढ़े हैं. उनके भाषण में भी यही देखने को मिला.”

शरद पवार भूमिका कैसी है?
उन्होंने इस भावना के साथ कार्यक्रम में भाग लिया कि कांग्रेस के लोकमान्य तिलक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पुरस्कार दिला रहे हैं. शरद पवार जब कोई स्टैंड लेते हैं तो उससे पीछे नहीं हटते. शरद पवार को कई लोगों ने कहा कि आपको प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ एक मंच पर नहीं जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि इससे क्या फर्क पड़ता है? शरद पवार वहां थे क्योंकि वह अपने रुख पर कायम थे. उनके साथ कांग्रेस नेता सुशील कुमार शिंदे भी थे. उनकी कोई चर्चा नहीं हुई. मैं शरद पवार के स्वभाव को जानता हूं. यह बिल्कुल संभव नहीं है कि वे किसी प्रस्तावना या किसी के कहने से अपना रुख बदल लेंगे. जितेंद्र आव्हाड ने मुंबई तक के एक कार्यक्रम में ये वजह बताई है.

शरद पवार की बड़ी ताकत क्या है?
जितेंद्र आव्हाड ने वाजपेयी सरकार के पतन की कहानी भी बताई. आव्हाड ने कहा, ''शरद पवार का दरवाजा किसी के लिए बंद नहीं है. क्योंकि संचार ही उनकी मुख्य ताकत है. शरद पवार एकमात्र ऐसे नेता हैं जो देश की हर पार्टी से संवाद करते हैं.



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