मालदीव की मुइज्जू सरकार ने एक बार फिर भारत पर गंभीर आरोप लगाया है. मालदीव के रक्षा मंत्री घासन मौमून ने कहा कि भारतीय सैन्य पायलटों ने साल 2019 में बगैर अनुमति के मालदीव में एक ऑपरेशन को अंजाम दिया था, जिसका मुद्दा संसद में भी उठा. मालदीव में स्थित भारतीय उच्चायोग ने मालदीव की तरफ से लगाए गए इस आरोप का खंडन किया है. मंगलवार को भारतीय उच्चायोग की तरफ से जारी बयान में बताया गया कि भारतीय विमानन प्लेटफॉर्म हमेशा से सहमत प्रक्रियाओं और उचित प्राधिकरण के साथ संचालित होते रहे हैं.

11 मई 2024 को मालदीव के रक्षा मंत्री घासन मौमून ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा था कि भारतीय एएलएच प्लेटफॉर्म द्वारा 9 अक्टूबर, 2019 को एक अनाधिकृत लैंडिंग की गई थी. भारतीय उच्चायोग ने इसका जवाब 14 मई को दिया. उच्चायोग ने कहा कि भारतीय विमानन प्लेटफॉर्म मालदीव में हमेशा सहमत प्रक्रियाओं के साथ संचालित हुए हैं. प्रेस कॉन्फ्रेंस में जिस लैंडिग की चर्चा की गई है, वह उड़ान भी एमएनडीएफ की मंजूरी के बाद की गई थी. उच्चायोग ने कहा कि रही बात लैंडिग की तो अति आवश्यकता पड़ने पर थिमाराफुशी हवाई अड्डे पर एटीसी से ऑन ग्राउंड परमिट लेने के बाद लैंडिंग हुई थी. इस दौरान चालक दल की सुरक्षा को सुनिश्चित करना था.

सीक्रेट हेलिकॉप्टर की लैंडिंग का आरोप

भारतीय उच्चायोग के विपरीत, मंत्री घासन मौमून ने शनिवार को कहा था कि साल 2019 में भारतीय सेना ने मालदीव के थिमाराफुशी में एक सीक्रेट हेलीकॉप्टर को उतारा था. मौमून ने कहा कि उन्होंने संसद समिति की नेशनल सिक्योरिटी सर्विस की रिपोर्ट देखी थी, जिसमें ये बात सामने आई है. मंत्री घासन ने दावा किया कि जब वह विधायक थे, उस दौरान इस मामले की समीक्षा संसद की राष्ट्रीय सुरक्षा सेवाओं की समिति (241 समिति) कर रही थी.

मालदीव के पास नहीं हैं सक्षम पायलट

मालदीव के मंत्री ने मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए कहा था कि भारत की तरफ से दिए गए हेलिकॉप्टर और डोर्नियर विमानों को संचालित करने के लिए मालदीव के पास सक्षम पायलट नहीं हैं. दरअसल, 9 मई को पिछली शर्तों के मुताबिक सभी भारतीय सैनिकों ने मालदीव छोड़ दिया था, जिसके बाद देश के रक्षा मंत्री प्रेस कॉन्फ्रेंस में मीडिया के सवालों का जवाब दे रहे थे. इस दौरान दोनों देशों के बीच चल रहे विवाद और समझौतों को लेकर कई बातें सामने आई.

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