विशेष टिप्पणी 

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राजेश शर्मा 


प्रमुख राजनितिक दलों के शीर्ष नेताओं का रुख अब मध्यप्रदेश की ओर बड़ता जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 14 सितंबर को प्रदेश की उद्योगिक नगरी इंदौर आ रहे हैं वे वहाँ बोहरा समाज के कार्यक्रम मे शामिल होंगे। मोदी , दाउदी बोहरा समाज के धर्मगुरु सैयदना आलीकदर मुफद्दल सैफुद्दीन से मुलाकात करेंगे।उनके साँथ राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल,मप्र के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान भी कार्यक्रम मे शामिल होंगे। दूसरी तरफ आगामी 17 सितंबर को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल का जमावड़ा राजधानी भोपाल मे रहेगा। मप्र मे मोदी और राहुल के प्रवास को राजनितिक हल्कों मे अलग-अलग चश्मे से देखा जा रहा है जानकारों के मुताबिक सभी कार्यक्रम सुनियोजित तीर हैं जिन्हें बस समय रहते चुनावी कमान पर कसा जा रहा है वक्त आने के बाद महिने, दो महिने मे ही इन्हें चलाया जाने वाला भी है।
आज इंदौर मे मोदी के आने की वजह सामाजिक कार्यक्रम है तो 17 सितंबर को राहुल गांधी के भोपाल आगमन की वजह कांग्रेस कार्यकर्ता सम्मेलन को ठहराया जा रहा है जबकि पर्दे के पीछे का सच यही है कि
*"यह तो सिर्फ़ आने के बहाने हैं , आगे हमको सहारे इन्हीं के तीर चलाने हैं"*
आगे भी नेताओं के इन्हीं अंदाज (कहीं पे निगाहें , कहीं पे निशाना) के दौरों से एमपी को गुजरना होगा। आप के सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल भी दबे पाँव प्रदेश की सरहद लांग चुके हैं। यह अलग बात है कि पब्लिक की मानसिकता को बदलने मे उक्त सियासती फंडे कितने असरदार साबित होते हैं। शीर्ष नेताओं के एमपी आगमन की वजह  फिलहाल तो राजनीतिक ही ज्यादा दिखाई दे रही है।
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